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५०
- पञ्चसंग्रह
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ওও
छठे
७७
७८ ७८
कुछ विशेष प्रकृतियोंके सत्त्व-असत्त्व-विषयक नियम ६९ शतककार-द्वारा गुणस्थानोंमें योग-निरूपण अनिवृत्ति करणमें सत्त्वसे व्युच्छिन्न होनेवाली प्रकृतियाँ ७१ भाष्य गाथाकार-द्वारा उक्त अर्थका स्पष्टीकरण १०४ सूक्ष्मसाम्परायमें , , ७२ बन्ध-प्रत्ययोंके भेदोंका निर्देश
१०५ क्षीणकषायमें
गुणस्थानोंमें मूल बन्ध-प्रत्ययोंका वर्णन १०५ अयोगि केवलीके द्विचरम समयमें ,,
गुणस्थानोंमें उत्तर-प्रत्ययोंका निरूपण
१०६ अयोगि केवलीके चरम समयमें ,
किस गुणस्थानमें कौन-कौनसे उत्तर प्रत्यय कर्मस्तवको अन्तिम मंगल-कामना
नहीं होते
मार्गणाओंमें बन्ध-प्रत्ययोंका निरूपण १०८-११३ बन्ध-उदयादि-सम्बन्धी नवप्रश्न-चूलिका नौ प्रश्नोंमेंसे द्वितीय प्रश्नका समाधान
गुणस्थानोंकी अपेक्षा एक जीवके एक समयमें तृतीय
सम्भव, जघन्य, मध्यम और उत्कृष्ट प्रथम
बन्ध-प्रत्ययोंका निर्देश पांचवें
७७ काय-विराधना-सम्बन्धी गुणकारोंका निरूपण चौथे
११४-११६ मिथ्यादृष्टिके भी अवस्था-विशेषमें एक आवली आठवें
कालतक अनन्तानुबन्धी कषायका उदय सातवें
नहीं होता नवें ॥
७९ मिथ्यादृष्टिके दश बन्ध-प्रत्यय-सम्बन्धी भंगोंका ४. शतक अधिकार
८०-२६३ निरूपण
११७
मिथ्यादृष्टिके ग्यारह मंगलाचरण और वस्तु-कथनकी प्रतिज्ञा जिनवचनामृतकी महत्ता
तेरह प्रतिपाद्य विषयके सुननेके लिए श्रोताओंको
" --------
.१२२ चौदह
१२४ सम्बोधन
पन्द्रह .... " प्रतिपाद्य विषयका निर्देश शतककार-द्वारा मार्गणा स्थानोंमें जीवसमासोंका
१२८ निरूपण
सत्रह " " " . १२९ अट्ठारह "
, १३१ भाष्य गाथाकार-द्वारा , , , ८२-८६ शतककार-द्वारा जीव समासोंमें उपयोगका निरूपण ८७
सासादन सम्यग्दृष्टिके बन्ध-प्रत्यय-गत विशेष
निर्देश भाष्य गाथाकार-द्वारा ,
१३२ , , ८७ भाष्य गाथाकार-द्वारा मार्गणा स्थानोंमें , ८८-९२
सासादन सम्यग्दृष्टिके दश बन्ध-प्रत्यय-सम्बन्धी
भंगोंका निरूपण शतककार-द्वारा जीवसमासोंमें योगोंका वर्णन ९२
सासादन सम्यग्दृष्टिके ग्यारह
१३३ भाष्य गाथाकार-द्वारा ,
, ९३ भाष्य गाथाकार-द्वारा मार्गणाओंमें योगोंका
बारह ,,
१३४ वर्णन
९४-९७
तेरह , शतककार-द्वारा मार्गणाओंमें गुणस्थानोंका
निरूपण भाण्य गाथाकार-द्वारा ,
, ९८-१०२ शतककार-द्वारा गुणस्थानोंमें उपयोगका वर्णन १०२ भाष्यगाथाकार-द्वारा उक्त अर्थका विशद
सम्यग्मिथ्यादृष्टिके नौ ,
१४१ विवेचन
१०२-१०३
दश ,
११९ १२०
बारह
"..
१२६
सोलह
८१
१३२
चौदह " पन्द्रह ॥ सोलह ॥ सत्रह "
uv
१४०
,
१४१
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