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________________ शतक संजणं यदरं एदरं चैव तिण्णि वेदाणं । हस्साइदुयं एयं जोगो पंच हवंति ते हेऊ ॥ १६७॥ १।१२।१ एदे मिलिया ५ । चतुर्णां कषायाणां मध्ये एकतरः संज्वलनकषायप्रत्ययः १ । त्रयाणां वेदानां मध्ये एकतरवेदोदयः १ । हास्य-रतियुग्माऽरतिशोकयुग्मयोर्मध्ये एकतरयुग्मोदयः २ । सत्यमनोयोगाद्यौदारिकयोगानां नवानां मध्ये एकतरयोगोदयः | १|१|२| १ | एते एकीकृताः ५ । एतेषां ५ प्रत्ययानां भङ्गाः ४।३।२।६ | आहारकद्वयापेक्षया भङ्गाः ४ | पुंवेदः ११२ भाहारकद्वयं परस्परद्वयभङ्गराशि गुणयित्वा २१६ ॥१६ ॥१६७॥ प्रमत्तसंयत में कोई एक संज्वलन कषाय, तीन वेदोंमें से कोई एक वेद, हास्यादि एक युगल और कोई एक योग, इस प्रकार पाँच बन्ध- प्रत्यय होते हैं ।। १६७ ॥ इनकी अंकसंदृष्टि इस प्रकार है- १ + १+२+१=५। एदेसिं च भंगा-- ४।३।२।१ एए अण्णोष्णगुणिए = २१६ ४|११२/२ = १६ -- २३२ "3 "3 एए दोणि वि मिलिए राशिद्वयं पिण्डीकृतं २३२ ॥ प्रमत्तसंयतके पाँच बन्ध-प्रत्यय-सम्बन्धी भंग इस प्रकार हैं(१) ४३२ इनका परस्पर गुणा करने पर (२) ४|१/२/२ इनका परस्पर गुणा करने पर Jain Education International उक्त दोनों भंग मिला देने पर प्रमत्तसंयतगुणस्थान में २३२ भंग पाँच बन्ध-प्रत्ययसम्बन्धी होते हैं । अब प्रमत्तसंयत गुणस्थानमै छह बन्ध-प्रत्यय-सम्बन्धी भंग कहते हैं संजल य एयदरं एयदरं चैव तिण्णि वेदाणं । हस्साइदुयं एयं भयदुय एयं च छच्च जोगो य ॥१६८॥ १।१२।१।१ एदे मिलिया ६ । १|१२|१|१ एकीकृताः ६। एतेषां भङ्गाः ४।३।२।२६ ॥ आहारकद्वयापेक्षया ४|१|२/२/२ अन्योन्यगुणिताः ४३२।३२ ॥१६८॥ कोई एक संज्वलनकषाय, तीन वेदों में से कोई एक वेद, हास्यादि एक युगल, भयद्विक में से कोई एक और एक योग; ये छह बन्ध-प्रत्यय होते हैं || १६८ || इनकी अंकसंदृष्टि इस प्रकार है - १ + १+२+१+१= ६। एदेसिं च भंगा - ४/३/२/२६ एए अण्णोष्णगुणिए = ४३२ ४।१२।२।२ = ३२ एए दो वि मेलिए मज्झिमभंगा भवंति = ४६४ 39 २१६ भंग होते हैं । १६ भंग होते हैं । "" १६३ एतौ द्वौ राशी मीलिते मध्यमप्रत्ययभङ्गविकल्पाः ४६४ भवन्ति । इनके भंग इस प्रकार हैं (१) ४३२२६ इनका परस्पर गुणा करने पर ४३२ भंग होते हैं । (२) ४|१|२||२ इनका परस्पर गुणा करने पर ये दोनों ही मिलकर मध्यम भंग ३२ भंग होते हैं । ४६४ होते हैं । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001937
Book TitlePanchsangrah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages872
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size21 MB
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