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________________ शतक इंदिय तिण्णि य काया कोहाई तिण्णि एयवेदो य । हस्साइदुयं एयं भयजुयलं तेरसं जोगो ॥ १७० ॥ १।३।३।१।२।२।१ एदे मिलिया १३ । १।३।३।१।२।२।१ एकीकृताः १३ प्रत्ययाः । एतेषां भंगाः ६ | २० | ४ | ३ | २|१० परस्परेण गुणिताः २८८०० ॥ १७० ॥ अथवा इन्द्रिय एक, काय तीन, क्रोधादि कषाय तीन, वेद एक, हास्यादि युगल एक, भययुगल और योग एक; ये तेरह बन्ध-प्रत्यय होते हैं ॥ १७० ॥ एदेसिं च भंगा |६|६|४ | ३ |२| १० एए अण्णोष्णगुणिया = ८६४० ६|१५|४|३|२।२।१० = ४३२०० ६।२०|४|३|२।१० = २८८०० एए सव्वे मेलिए = ८०६४० एते त्रयो राशयो मीलिताः ८०६४० त्रयोदशप्रत्ययानां विकल्पाः । मिश्रगुणस्थान में तेरह बन्ध-प्रत्यय-सम्बन्धी तीनों प्रकारोंके भङ्ग इस प्रकार हैं-प्रथम प्रकार – ६ | ६ | ४ | ३ |२| १० इनका परस्पर गुणा करनेपर ८६४० भङ्ग होते हैं। द्वितीय प्रकार - ६ | १५ | ४ | ३ |२२|१० इनका परस्पर गुणा करनेपर ४३२०० भङ्ग होते हैं । तृतीय प्रकार - ६ | २०|४|३|२|१०| इनका परस्पर गुणा करनेपर २८८००भङ्ग होते हैं । उक्त सर्व भंगों का जोड़ - = ८०६४० होता है । १४४० ॥ १७१ ॥ सम्यग्मिथ्यादृष्टिके आगे बतलाये जानेवाले चौहद बन्धप्रत्यय-सम्बन्धी भङ्गोंको निकालनेके लिए बीजभूत कूटकी रचना इस प्रकार है १|६|३|१|२|१ एकीकृताः १४ १९ " "" Jain Education International इंदिय छक्कय कया कोहाई तिष्णि एयवेदो य । साइदुयं एयं जोगो चउदस हवंति ते हेऊ ॥ १७१ ॥ १।६।३।१।२।१ एदे मिलिया १४ । प्रत्ययाः । एतेषां भंगाः १४५ का० भ० ६ O ५ ४ १ २ अथवा मिश्र गुणस्थानमें इन्द्रिय एक काय छह, क्रोधादि कषाय तीन, वेद एक, हास्यादि युगल एक, और योग एक; ये चौदह बन्ध-प्रत्यय होते हैं ॥ १७१ ॥ इनकी अंकसंदृष्टि इस प्रकार है- १ +६+३+१+२+ १ + १ = १४। इंदिय पंचय काया कोहाई तिण्णि एयवेदो य । हस्सा दुयं एयं भयदु एयं च एयजोगो य ॥ १७२॥ १।५।३।१।२।१।१ पदे मिलिया १४ । १।५।३।१।२।१।१ एकीकृताः १४ प्रत्ययाः । तेषां भंगा: ६|६|४|३|२|२।१० गुणिताः १७२८० ॥ १७२ ॥ For Private & Personal Use Only ६ |१| ४ | ३।२।१० परस्परहताः अथवा इन्द्रिय एक, काय पाँच, क्रोधादि कषाय तीन, वेद एक, हास्यादि युगल एक, भद्विकमें से एक और योग एक; ये चौदह बन्ध-प्रत्यय होते हैं ॥ १७२ ॥ इनकी अंकसंदृष्टि इस प्रकार है - १+५+३+१+२+१+१=१४। www.jainelibrary.org
SR No.001937
Book TitlePanchsangrah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages872
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size21 MB
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