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________________ शतक इंदियमेओ काओ कोहाई तिष्णि एयवेदो य । हस्सादिदु एयं भयजुयलं एयजोगो य ॥१६४॥ |१|१|३|१।२।२।१ एदे मिलिया ११ । |१|१|३|११२।२।१ एकीकृताः ११ प्रत्ययाः । एतेषां भङ्गाः ६।६।४।३।२।१०। गुणिताः ८६४० ॥ १६४ ॥ अथवा इन्द्रिय एक, काय एक, क्रोधादि कषाय तीन, वेद एक, हास्यादि युगल एक, भयद्विक और योग एक; ये ग्यारह बन्ध-प्रत्यय होते हैं ॥ १६४ ॥ इनकी अंकसंदृष्टि इस प्रकार है--१+१+३+१+२+२+१ = ११। ६।२०।४।३।२।१० एए अण्णोष्णगुनिया = २८८०० एदेसिं च भंगा ६।१५।४।३।२।२।१० = ४३२०० ६|६|४|३|२|१० = ८६४० =८०६४० ८०६४० । मिश्रगुणस्थान में ग्यारह बन्ध-प्रत्यय-सम्बन्धी तीनों प्रकारोंके भङ्ग इस प्रकार हैं(१) ६| २०|४|३२|१० इनका परस्पर गुणा करने पर २८५०० भङ्ग होते हैं । (२) ६।१५।४।३।२।२।१० इनका परस्पर गुणा करने पर ४३२०० भङ्ग होते हैं । (३) ६|६|४|३|२| १० इनका परस्पर गुणा करने पर ग्यारह बन्ध-प्रत्यय-सम्बन्धी भंगोंका जोड़ ८६४० भङ्ग होते हैं । ८०६४० होता है । बन्ध-प्रत्यय-सम्बन्धी एए सव्वे मेलिए- एते सर्वे मीलिताः -- 33 23 सम्यग्मिथ्यादृष्टिके आगे बतलाये जानेवाले बारह भङ्गोंको निकालनेके लिए बीजभूत कूटकी रचना इस प्रकार है इंदिय चउरो काया कोहाई तिण्णि एयवेदो य । हस्सादिदुयं एवं जोगो वारस हवंति ते हेऊ ॥१६५॥ |१|४|३|१|२| १ एदे मिलिया १२ । १४३ Jain Education International का० भ० ४ ३ २ ० |१|४|३|१|२| १ एकीकृताः १२ द्वादश कर्मणां ते हेतवः प्रत्यया भवन्ति । एतेषां भङ्गाः ६|१५|४| ३।२।१० परस्परेण गुणिताः २१६०० ॥१६५॥ 9 २ अथवा मिश्रगुणस्थान में इन्द्रिय एक, काय चार, क्रोधादि कषाय तीन, वेद एक, हास्यादि युगल एक, और योग एक, ये बारह बन्ध-प्रत्यय होते हैं ।। १६५।। इनकी अंकसंदृष्टि इस प्रकार है--१+४+३+१+२+१ ==१२ । For Private & Personal Use Only इंदिय तिणि विकाया कोहाई तिणि एयवेदो य । हस्सा दुयं यं भयदुय एयं च वारसं जोगो ॥ १६६ ॥ १।३।३।१।२।१।१ एदे मिलिया १२ । १।३।३।१।२1१1१ एकीकृताः १२ प्रत्ययाः । एतेषां भङ्गाः ६।२०|४ | ३ |२| २|१० गुणिताः ५७६०० ॥१६६॥ अथवा इन्द्रिय एक, काय तीन, क्रोधादि कषाय तीन, वेद एक, हास्यादि युगल एक, भयद्विकमें से एक और योग एक; ये बारह बन्ध- प्रत्यय होते हैं ॥१६६॥ इनकी अंकसंदृष्टि इस प्रकार है -- १+३+३+१+२+ १ + १ = १२ । www.jainelibrary.org
SR No.001937
Book TitlePanchsangrah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages872
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size21 MB
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