________________ 257 तत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् एकाश्रये सवितर्के पूर्वे // 9-43 // अविचारं द्वितीयम् // 9-44 // वितर्कः श्रुतम् // 9-45 // विचारोऽर्थव्यञ्जनयोगसङ्क्रान्तिः // 9-46 / / सम्यग्दृष्टिश्रावकविरतानन्तवियोजकदर्शनमोहक्षपकोपशमकोपशान्तमोहक्षपकक्षीणमोहजिनाः क्रमशोऽसङ्ख्येयगुणनिर्जराः // 9-47 // पुलाकबकुशकुशीलनिर्ग्रन्थस्नातका निर्ग्रन्थाः // 9-48 / / संयमश्रुतप्रतिसेवनातीर्थलिङ्गलेश्योपपातस्थानविकल्पतः साध्याः // 9-49 // दशमोऽध्यायः मोहक्षयाज्ज्ञानदर्शनावरणान्तरायक्षयाच्च केवलम् // 10-1 // बन्धहेत्वभावनिर्जराभ्याम् // 10-2 // कृत्स्नकर्मक्षयो मोक्षः // 10-3 / / औपशमिकादिभव्यत्वाभावाच्चान्यत्र केवलसम्यकत्वज्ञानदर्शनसिद्धत्वेभ्यः // 10-4 // तदनन्तरमूर्ध्वं गच्छत्या लोकान्तात् / / 10-5 / / पूर्वप्रयोगादसंगत्वाद्वन्धछेदात्तथागतिपरिणामाच्चतद्गतिः // 10-6 // क्षेत्रकालगतिलिङ्गतीर्थचारित्रप्रत्येकबुद्धबोधितज्ञानावगाहनान्तरसंख्याल्पबहुत्वतः साध्याः // 10-7 // Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org