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मुहूर्तराज ]
____ [११ अर्थ - जिस वार को जिन-जिन कार्यों को करने का विधान है वे कार्य उस वार की स्वयं की कालहोरा में किये जाने से शीघ्र ही पूर्ण होते हैं। होरा फल - कुछ अज्ञात आचार्यों के मत से
भानुहोरा मृतिं कुर्याच्चन्द्रहोरा स्थिरासनम् । काराबन्धं भौमहोरा, बुधहोरा च पुत्रदा ॥ वस्त्रालंकारदा जीवहोरा शौक्री विवाहदा । जडत्वं शनिहोरायां सप्तहोरा फलन्त्विदम् ॥
प्रश्नकाले यदा होरा तदाफलमवाप्नुयात् । अन्वय - भानुहोरा मृतिम् चन्द्रहोरा स्थिरासनम् भौमहोरा च काराबन्धं कुर्यात्, बुधहोरा पुत्रदा (अस्ति) जीवहोरा वस्त्रालंकारदा, शौक्री विवाहदा, शनिहोरा जडत्वं कुर्यात् इंद सप्तहोराफलम् (अस्ति) यदा होरा प्रश्नकाले तदा फलमवाप्नुयात्।
अर्थ - सूर्य होरा मृत्यु अथवा मृत्युतुल्य कष्टदायक होती है। चन्द्र होरा स्थिरताकारक भौम होरा कारावास दायक होती है। बुध होरा पुत्रदायिनी है। गुरु होरा वस्त्र एवं आभूषण सुख देने वाली, शुक्र होरा मंगल दायिनी होती है। शनि होरा जड़ता देती है।
और प्रश्नकाल में जिस ग्रह की होरा हो उस प्रश्न का फल भी उसी के अनुसार होता है। वारवेला ज्ञान - (शी.बो.)
तुर्योऽर्के सप्तमश्चन्द्रे, द्वितीयो भूमि नन्दने । चन्द्रपुत्रे पञ्चमश्च, देवाचार्ये तथाष्टमः ॥ दैत्यपूज्ये तृतीयश्च, शनौ षष्ठश्च निन्दितः ।
प्रहरा? शुभे कार्ये, वारवेला हि कथ्यते ॥ अन्वय - अर्के तुर्यः. चन्द्रे सप्तमः, भूमिनन्दने द्वितीयः, चन्द्रपुत्रे पञ्चमः देवाचार्ये अष्टम: दैत्यपूज्ये तृतीयः शनौ च षष्ठः प्रहरा? वारवेला कथ्यते (अयं प्रहरार्ध:) शुभे कार्ये निन्दितः हि।
अर्थ - वारवेला का मान आधे प्रहर का अर्थात् १॥ घंटे का होता है। रवि आदि वारों में क्रमश: चौथा, सातवाँ, दूसरा, पाँचवाँ, आठवाँ, तीसरा और छठा प्रहरार्ध (आधे प्रहर का समय) वारवेला है। यह वारवेला शुभ कार्यों में निन्दित है अत: इसका त्याग करना चाहिये।
वारवेला ज्ञापक सारणी क्र.सं. वार नाम | प्रहरार्ध | समय
संज्ञा फल
विशेष वर्जित पलें रवि ४ था १०॥-१२ वारवेला (कुवेल) शुभकार्यों में त्याज्य मध्य की १६ पल पूर्व दिशा में वर्जित सोम |७ वाँ
वारवेला (कुवेल) शुभकार्यों में त्याज्य | मध्य की ८ पल वायव्य में वर्जित मंगल
७॥-९ वारवेला (कुवेल) |शुभकार्यों में त्याज्य | मध्य की ३२ पल दक्षिण में बुध
१२-१॥ वारवेला (कुवेल)| शुभकार्यों में त्याज्य ४॥-६ वारवेला (कुवेल) शुभकार्यों में त्याज्य मध्य की १ पल पश्चिम में
९-१०॥ वारवेला (कुवेल) शुभकार्यों में त्याज्य मध्य की ४ पल अग्नि कोण शनि
१॥-३ वारवेला (कुवेल) |शुभकार्यों में त्याज्य | मध्य की ६४ पल उत्तर दिशा
३-४॥
गुरु
शुक्र
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