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________________ ४१० ] [ मुहूर्तराज इसमें लग्न और चन्द्रमा से समस्त फलों का विचार किया जाता है। जातक का यह अत्यन्त उपयोगी ग्रन्थ है। बेड़ाजातक वृत्ति : 'जन्म समुद्र' पर नरचन्द्र उपाध्याय ने 'बेड़ाजातक' नामक स्वोपज्ञ-वृति की रचना वि. सं. १३२४ की माघ शुक्ला अष्टमी (रविवार) के दिन की है। यह वृत्ति १०५० श्लोक प्रमाण है। यह ग्रन्थ अभी छपा नहीं है। नरचन्द्र उपाध्याय ने प्रश्न शतक ज्ञानचतुर्विशिका, लग्न विचार, ज्योतिषा प्रकाश, ज्ञान दीपिका आदि ज्योतिष विषयक अनेक ग्रन्थ रचे हैं। प्रश्न शतकः कासवाद्गच्छीय नरचन्द्र उपाध्याय ने 'प्रश्न शतक' नामक ज्योतिष विषयक ग्रन्थ वि.सं. १३२४ में रचा है। इसमें करीब सौ प्रश्नों का समाधान किया है। यह ग्रन्थ छपा नहीं है। प्रश्न शतक अवचूरिः नरचन्द्र उपाध्याय ने अपने 'प्रश्न शतक' ग्रंथ पर वि. सं. १३२४ में स्वोपज्ञ अवचूरि की रचना की है। यह ग्रन्थ प्रकाशित नहीं हुआ है। ज्ञान चतुर्विशिका : कासहाद्गच्छीय उपाध्याय नरचन्द्र ने 'ज्ञान चतुर्विशिका' नामक ग्रन्थ की २४ पद्यों में रचना करीब वि. सं. १३२५ में की है। इसमें लग्नानयन, होराद्यायनयन, प्रश्नाक्षराल्लग्नानयन, सर्वलग्नग्रह बल, प्रश्न योग, पतितादिज्ञान पुत्र-पुत्रीज्ञान, दोषज्ञान, जयपृच्छा, रोगपृच्छा आदि विषयों का वर्णन है। यह ग्रन्थ अप्रकाशित है। ज्ञान चतुर्विशिका अवचूरि : _ 'ज्ञान चतुर्विशिका' पर उपाध्याय नरचन्द्र के करीब वि. सं. १३२५ में स्वोपज्ञ अवचूरि की रचना की है। यह ग्रन्थ प्रकाशित नहीं हुआ है। ज्ञान दीपिका : कासहाद्गच्छीय उपाध्याय नरचन्द्र ने ज्ञान दीपिका नामक ग्रन्थ की रचना करीब वि. सं. १३२५ में की है। लग्न विचार : कासहाद्गच्छीय उपाध्याय नरचन्द्र ने लग्न विचार नामक ग्रन्थ की रचना करीब वि. सं. १३२५ में की है। १. यह कृति अभी छपी नहीं है। इसकी ७ पज्ञों की हस्त लिखित प्रति ला. द. भा. सं. विद्या मन्दिर, अहमदाबाद में है। यह प्रति १६ वीं शताब्दी में लिखी गई है। इसकी एक पत्र की प्रति लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्या मन्दिर अहमदाबाद में है। यह वि. सं. १७०८ में लिखी गई है। २. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001933
Book TitleMuhurtraj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayprabhvijay
PublisherRajendra Pravachan Karyalay Khudala
Publication Year1996
Total Pages522
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size11 MB
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