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[ मुहूर्तराज अर्थ - प्रश्नकालिक लग्न से ३, ६, १० और ग्यारहवें भाव में क्षीण चन्द्रमा अथवा १, ४, ७, १०, ९ और ५ इन भावों शुभग्रह हों अथवा लग्न पर शुभग्रहदृष्टि हो तो रोगी स्वस्थ और सुखी होगा एवं यदि पूर्ण चन्द्र लग्न में शुभग्रहदृष्ट होकर स्थित हो, अथवा केन्द्र में गुरु शुक्र हों तो आर्त एवं पीडायुक्त रोगी भी सुखी होगा, ऐसा कहना चाहिए। इससे विपरीत होने पर (उपर्युक्त न हो तो) रोगी अस्वस्थ बना रहेगा। विवाहप्रश्न-(बृहज्यौतिषसार)
जामित्रोपचयगतः शीतांशु ववीक्षितः कुरुते ।
स्त्रीलाभं, पापयुतोऽवलोकितो वापि तन्नाशय । ___ अर्थ - यदि प्रश्नकालिक लग्न से जामित्र (सप्तमम्भाव) उपयय (३, ६, १०, ११) इन स्थानों में से कहीं भी यदि शीतांशु (चन्द्र) हो और उस पर गुरु की दृष्टि हो तो स्त्रीलाभकारी है; और यदि इन्हीं स्थानों में चन्द्र पापग्रह से युक्त अथवा दृष्ट हो तो स्त्रीलाभ नहीं होगा, ऐसा कहें। तथा च
दुश्चिक्यतनयसप्तमरिपुलाभगतः शशी विलग्नक्षत् ि। गुरुरविसौभ्यै दृष्टो विवाहदः स्यात्तथा सौम्याः ॥ केन्द्रत्रिकोणगा वा, सप्तमभवनं शुभग्रहस्य यदि ।
तज्जातीयां लभते, पापः विगतरूपांच ॥ __ अर्थ - प्रश्नकालिक लग्न से ३, ५, ७, ६, ११ वें में चन्द्र हो और उस पर गुरु, रवि और बुध की दृष्टि हो अथवा शुभग्रह १, ४, ७, १०, ५ और ९ वें स्थानों में हों अवश्यमेव विवाह होगा। ___यदि सप्तमभाव में शुभग्रहीय राशि (२, ३, ४, ६, ७, ९, १२) हो तो तदनुसार सुशीला एवं गुणवती स्त्री का लाभ और सप्तमभाव में पापग्रहीय राशि हो तो दुःशीला एवं कुरूपा स्त्री का लाभ होगा, यह कहना चाहिए। स्वप्नदर्शन प्रश्न–(बृहज्यौतिषसार)
रविलग्ने दीप्ताग्निर्लोहितवसनानि दर्शनं नृपतेः । शिशिरकिरणे तु नारी सितकुसुमश्वेतवस्त्ररत्लानि ॥ भौमे सुवर्णविद्रुभरक्तस्त्रावं तथामांसमपि । खे गमनं शशीपुत्रे जीवे सहबन्धुमिर्योगः ॥ जलसन्तरणं शुके तुङ्गारोहं वदेत्पतंगसुते ।
लग्नस्थे वक्तव्यं मिर्मिश्रं तथा प्रश्नम् ॥ अर्थ - कैसा स्वप्ना देखा है अथवा देलूँगा ? ऐसे प्रश्न में यदि प्रश्नलग्न में सूर्य रहे तो स्वप्न में प्रज्वलित अग्नि, लाल वस्त्रादिक तथा राजदर्शन; चन्द्रमा हो तो स्त्री, श्वेतपुष्प वस्त्र एवं रत्न दर्शन; मंगल हो तो स्वर्ण, मूंगा, लाल पदार्थ शोषितयुक्त मांस का दर्शन, बुध हो तो आकाश में उड़ना, गुरु हो तो बन्धुमित्रसमागम; शुक्र हो जो जल में क्रीड़ा एवं शनि हो तो ऊँचे स्थान पर चढ़ना आदि तथा यदि लग्न में अनेक ग्रह हों तो मिश्रफल कहे।
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