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मुहूर्तराज ]
[३७५
॥ अथ अङ्गस्फुरण कोष्ठक सफल ॥
स्थान
फल
स्थान
फल
स्थान
फल
मस्तक
पृथ्वीलाभ
वक्षःस्थल
विजय
कण्ठ
ऐश्वर्यलाभ
ललाट
स्थानलाभ
हृदय
वांछितसिद्धि
गरदन
रिपुभय
स्कन्ध
भोगसमृद्धि
कमर
प्रमोद, बल
युद्ध में हार
भौहों के मध्य
सुख
कमर के पास
प्रीति उत्तम
कपोल
वराङ्गनालाभ
दोनों भौहें
महासुख
नाभि
स्त्रीनाश
मुख
मित्रप्राप्ति
कपाल
शुभ
आन्त्र
कोषवृद्धि
बाहु
मधुरभोजन
नेत्रद्वय
धनप्राप्ति
भग
पतिप्राप्ति
बाहुमध्य
धनागम
नेत्रकोण २
लक्ष्मीलाभ
कुक्षि
सुप्रीति
पेडू
अभ्युदय
नेत्रसमीप
प्रियसमागम
उदर
कोशप्राप्ति
नितम्बा
वस्त्रलाभ
नेत्रपक्ष
राज्यलाभ
लिङ्ग
स्त्रीलाभ
घुटने
शत्रुवृद्धि
नेत्रपक्ष २
युद्धजय
वाहन प्राप्ति
जांघ
स्वामिप्रीति
नत्रोपांग २
कलत्र लाभ
वृषभ
पुत्र लाभ
पैर के ऊपर
स्थान लाभ
नासिका २ .
प्रेम
ओष्ठ
प्रियवस्तु
पैर तले
राज्यप्राप्ति
हाथ
सद्रव्यलाभ
ठुड्डी
भय
___ पादाङ्गुष्ठ
अलाम
(बा.बो. ज्यो. सा. समुच्चय से)
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