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________________ मुहूर्तराज ] [३५३ साधक अक्षर - श १०॥ साध्यजिन | तारा | योनि । वर्ग | विंशोपक गण | राशि नाडी । मनुष्य मध्य साध्यनाम स्वकीय विरुद्ध लभ्य देय व्याघ्र मीन | तुला राक्षस मध्यवेध अशुभ श्रेष्ठतर स्व शुभ अशुभ मध्यम श्रेष्ठ वेध मध्यम अशुभ अशुभ | कुवैर कुवैर अशुभ अशुभ अशुभ शE मध्यम अशुभ अशुभ श्रेष्ठतर श्रेष्ठतर स्व वेध मध्यम |शुभ |श्री ऋषभदेवजी श्री अजितनाथजी श्री सम्भवनाथजी श्री अभिनन्दनजी |श्री सुमतिनाथजी श्री पद्मप्रभुजी श्री सुपार्श्वनाथजी |श्री चन्द्रप्रभजी श्री सुविधिनाथजी श्री शीतलनाथजी श्री श्रेयांसनाथजी श्री वासुपूज्यजी श्री विमलनाथजी श्री अनन्तनाथजी श्री धर्मनाथजी श्री शान्तिनाथजी श्री कुंथुनाथजी |श्री अरनाथजी श्री मल्लिनाथजी श्री मुनिसुव्रतजी |श्री नमिनाथजी श्री नेमिनाथजी श्री पार्श्वनाथजी २४ श्री महावीरस्वामीजी अशुभ अशुभ मध्यम मध्यम मध्यम | वेध मध्यम न अशुभ अशुभ अशुभ मध्यम अशुभ मध्यम अशुभ अशुभ मध्यम मध्यम अशुभ अशुभ कुवैर सम वेध पात्र कुवैर मैत्री अशुभ सम राशि पति एकनाथ वर्ण वेश्य नक्षत्र युजि उ.भा. | पश्चिम मीन गुरु धन ब्राह्मण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001933
Book TitleMuhurtraj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayprabhvijay
PublisherRajendra Pravachan Karyalay Khudala
Publication Year1996
Total Pages522
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size11 MB
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