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________________ ३५२ ] [ मुहूर्तराज साधक अक्षर - वे, वै, वो, वौ। साध्यजिन ____तारा | योनि । विंशोपक गण राशि नाडी सर्प स्वकीय विरुद्ध साध्यनाम | वृषभ लभ्य देय | मध्य मध्यवेध ७, ९, २ नकुल राक्षस कुवर मध्यम मैत्री मध्यम अशुभ श्रेष्ठ अशुभ प्रीति कुवैर वैर अशुभ मध्यम स्व शुभ वैर श्रेष्ठतर श्री ऋषभदेवजी श्री अजितनाथजी श्री सम्भवनाथजी |श्री अभिनन्दनजी श्री सुमतिनाथजी श्री पद्मप्रभुजी श्री सुपार्श्वनाथजी श्री चन्द्रप्रभजी श्री सुविधिनाथजी श्री शीतलनाथजी श्री श्रेयांसनाथजी श्री वासुपूज्यजी |श्री विमलनाथजी श्री अनन्तनाथजी श्री धर्मनाथजी श्री शान्तिनाथजी श्री कुंथुनाथजी श्री अरनाथजी श्री मल्लिनाथजी श्री मुनिसुव्रतजी श्री नमिनाथजी श्री नेमिनाथजी श्री पार्श्वनाथजी २४ श्री महावीरस्वामीजी मध्यम शुभ - अशुभ शुभ अशुभ अशुभ | अशुभ शुभ अशुभ २१ २२ शभ अशुभ प्रीति मध्यम | शुभ राशि वृषभ पति शुक्र एकनाथ तुला वर्ण वैश्य वश्य मेष नक्षत्र | युजि मृग पूर्व Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001933
Book TitleMuhurtraj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayprabhvijay
PublisherRajendra Pravachan Karyalay Khudala
Publication Year1996
Total Pages522
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size11 MB
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