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३४६ ]
[ मुहूर्तराज
साधक अक्षर - ये, ये, यो, यौ।
साध्यजिन
तारा
योनि
|
वर्ग
.
विंशोपक
गण
| राशि
नाडी
आद्य
साध्यनाम
स्वकीय विरुद्ध
श्वान हरिण
य
लभ्य
राक्षस धनु देव मनु. | वृषभ
| आद्यवेध
अशुभ
अशुभ अशुभ
शुभ
वैर
सम
अशुभ अशुभ
सम
वेध
अशुभ
अशुभ
वैर
। कुवैर
स्व
एकम
अशुभ
वैर
।
श्री ऋषभदेवजी श्री अजितनाथजी श्री सम्भवनाथजी |श्री अभिनन्दनजी श्री सुमतिनाथजी श्री पद्मप्रभुजी श्री सुपार्श्वनाथजी श्री चन्द्रप्रभजी श्री सुविधिनाथजी श्री शीतलनाथजी श्री श्रेयांसनाथजी श्री वासुपूज्यजी श्री विमलनाथजी श्री अनन्तनाथजी श्री धर्मनाथजी
श्री शान्तिनाथजी १७ श्री कुंथुनाथजी
श्री अरनाथजी श्री मल्लिनाथजी श्री मुनिसुव्रतजी श्री नमिनाथजी
श्री नेमिनाथजी २३ श्री पार्श्वनाथजी २४ श्री महावीरस्वामीजी
वेध
स्व अशुभ वैर
अशुभ शुभ श्रेष्ठतर श्रेष्ठतर
।
प्रीति
मन
शुभ
अशुभ
शत्रु श्रेष्ठतर
शुभ अशुभ
र
शभ
श्रष्ठ
अशुभ अशुभ अशुभ
शभ
अशुभ
राशि
__ पति
नक्षत्र
एकनाथ मीन
वर्ण क्षत्रिय
वश्य सभी राशियाँ
| युजि | पश्चिम
धनु
गुरु
मूल
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