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________________ [३४५ मुहूर्तराज ] साधक अक्षर - य, या, यि, यी, यु, यू। साध्यजिन तारा योनि | वर्ग विंशोपक गण राशि | नाडी हरिण साध्यनाम ने स्वकीय विरुद्ध लभ्य राक्षस वृश्चिक | आद्य देव मनु. | मिथुन | आद्यवेध २, ४, ६ श्वान अशुभ श्रेष्ठ अशुभ अशुभ वैर शत्र | वेध श्रेष्ठतर शुभ अशुभ कुवर स्व अशुभ अशुभ अशुभ वैर |श्री ऋषभदेवजी श्री अजितनाथजी श्री सम्भवनाथजी श्री अभिनन्दनजी श्री सुमतिनाथजी श्री पद्मप्रभुजी | श्री सुपार्श्वनाथजी | श्री चन्द्रप्रभजी श्री सुविधिनाथजी | श्री शीतलनाथजी | श्री श्रेयांसनाथजी श्री वासुपूज्यजी श्री विमलनाथजी श्री अनन्तनाथजी श्री धर्मनाथजी १६ श्री शान्तिनाथजी श्री कुंथुनाथजी श्री अरनाथजी |श्री मल्लिनाथजी श्री मुनिसुव्रतजी श्री नमिनाथजी श्री नेमिनाथजी २३ | श्री पार्श्वनाथजी २४ श्री महावीरस्वामीजी अशुभ श्रेष्ठ शुभ अशुभ वैर न मध्यम प्रीति शभ प्रति अशुभ र मन शभ * शुभ अशुभ अशुभ | शुभ ० ॥ वेध एकनाथ वर्ण वश्य नक्षत्र राशि वृश्चि. पति मंगल | युजि ज्येष्ठा | पश्चिम मेष ब्राह्मण सिंह Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001933
Book TitleMuhurtraj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayprabhvijay
PublisherRajendra Pravachan Karyalay Khudala
Publication Year1996
Total Pages522
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size11 MB
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