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________________ [३२९ मुहूर्तराज ] साधक अक्षर - दे, दे, दो, दौ साध्यजिन तारा योनि | वर्ग विंशोपक गण राशि | नाडी । देव मीन साध्यनाम स्वकीय विरुद्ध लभ्य | देय अन्त्य अन्त्यवेध २,४,६ सिंह राक्षस तुला कुवैर मध्यम श्रेष्ठतर | भवेध अशुभ कुवैर मध्यम | शुभ कुवैर शम श्रेष्ठतर मध्यम श्रेष्ठतर अशुभ अशुभ अशुभ वेध १ | श्री ऋषभदेवजी २|श्री अजितनाथजी | श्री सम्भवनाथजी श्री अभिनन्दनजी | श्री सुमतिनाथजी श्री पद्मप्रभुजी श्री सुपार्श्वनाथजी श्री चन्द्रप्रभजी श्री सुविधिनाथजी श्री शीतलनाथजी श्री श्रेयांसनाथजी श्री वासुपूज्यजी श्री विमलनाथजी श्री अनन्तनाथजी श्री धर्मनाथजी | श्री शान्तिनाथजी श्री कुंथुनाथजी श्री अरनाथजी श्री मल्लिनाथजी २० | श्री मुनिसुव्रतजी २१ | श्री नमिनाथजी २२ | श्री नेमिनाथजी श्री पार्श्वनाथजी २४ | श्री महावीरस्वामीजी | शुभ अशुभ वैर मध्यम स्व | कुवैर |स्व एकम मध्यम श्रेष्ठ | स्व | कुवैर अशुभ म सम शत्र मध्यम पति एकनाथ वर्ण वश्य युजि राशि मीन नक्षत्र रेवती गुरु बाह्मण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001933
Book TitleMuhurtraj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayprabhvijay
PublisherRajendra Pravachan Karyalay Khudala
Publication Year1996
Total Pages522
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size11 MB
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