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________________ मुहूर्तराज ] [३२१ साधक अक्षर - ण १० साध्यजिन | तारा योनि वर्ग विंशोपक गण राशि नाडी महिष आद्य साध्यनाम स्वकीय विरुद्ध लभ्य | देय देव मनुष्य । कन्या मेष ६,८,१ अश्व आद्य मध्यम श्रेष्ठ | शुभ मध्यम श्रेष्ठतर श्रेष्ठतर | वेध ५ अशुभ शुभ अशुभ शुभ अशुभ वैर मध्यम श्रेष्ठ मध्यम अशुभ | वैर वैर प्रीति श्री ऋषभदेवजी श्री अजितनाथजी श्री सम्भवनाथजी श्री अभिनन्दनजी श्री सुमतिनाथजी श्री पद्मप्रभुजी | श्री सुपार्श्वनाथजी श्री चन्द्रप्रभजी श्री सुविधिनाथजी श्री शीतलनाथजी श्री श्रेयांसनाथजी श्री वासुपूज्यजी श्री विमलनाथजी श्री अनन्तनाथजी |श्री धर्मनाथजी श्री शान्तिनाथजी श्री कुंथुनाथजी श्री अरनाथजी श्री मल्लिनाथजी श्री मुनिसुव्रतजी श्री नमिनाथजी |श्री नेमिनाथजी | श्री पार्श्वनाथजी | श्री महावीरस्वामीजी |वेध अशुभ मध्यम सम सम अशुभ अशुभ | वैर । वैर शत्र वेध सम अशुभ शत्रु |वैध मध्यम अशुभ | वैर २३ मध्यम स्व राशि| पति एकनाथ वर्ण नक्षत्र वश्य बिना सिंह व धन के युजि मध्य कन्या बुध मिथुन वैश्य Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001933
Book TitleMuhurtraj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayprabhvijay
PublisherRajendra Pravachan Karyalay Khudala
Publication Year1996
Total Pages522
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size11 MB
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