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________________ मुहूर्तराज ] [३११ साधक अक्षर - छ १० साध्यजिन तारा योनि । वर्ग विंशोपक गण राशि नाडी साध्यनाम स्वकीय विरुद्ध श्वान हरिण मिथुन वृश्चिक आद्य | कर्क | आद्य मनुष्य राक्षस लभ्य ८,१,३ + अशुभ स्व सम मध्यम मध्यम स्व वेध अशुभ | शुभ अशुभ अशुभ | श्रेष्ठतर अशुभ शुभ मध्यम पान अशुभ अशुभ अशुभ स्व मध्यम सम प्रीति अशुभ मध्यम | वेध श्रेष्ठ १ श्री ऋषभदेवजी २|श्री अजितनाथजी |श्री सम्भवनाथजी श्री अभिनन्दनजी श्री सुमतिनाथजी श्री पद्मप्रभुजी | श्री सुपार्श्वनाथजी श्री चन्द्रप्रभजी श्री सुविधिनाथजी श्री शीतलनाथजी श्री श्रेयांसनाथजी श्री वासुपूज्यजी श्री विमलनाथजी श्री अनन्तनाथजी |श्री धर्मनाथजी श्री शान्तिनाथजी | श्री कुंथुनाथजी श्री अरनाथजी श्री मल्लिनाथजी | श्री मुनिसुव्रतजी श्री नमिनाथजी |श्री नेमिनाथजी श्री पार्श्वनाथजी २४ | श्री महावीरस्वामीजी राशि पति मिथुन अशुभ मध्यम श्रेष्ठ अशुभ मध्यम |अशभ अशुभ मध्यम अशुभ अशुभ मध्यम बैं अशुभ मध्यम प्रीति अशुभ मध्यम मध्यम शुभ वेध अशुभ | अशुभ शुभ स्व श्रेष्ठतर | वेध अशुभ (वैर) एकनाथ वर्ण नक्षत्र युजि वश्य विना सिंह व धन बुध कन्या आर्द्रा मध्य Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001933
Book TitleMuhurtraj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayprabhvijay
PublisherRajendra Pravachan Karyalay Khudala
Publication Year1996
Total Pages522
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size11 MB
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