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________________ [३०५ मुहूर्तराज ] साधक अक्षर - ग, गा, गि, गी साध्यजिन | तारा योनि | वर्ग विंशोपक गण | राशि नाडी स्वकीय सिंह साध्यनाम लभ्य | देय राक्षस |मकर मध्य देव, मनुष्य | सिंह | मध्यवेध विरुद्ध ७,९,२ हस्ती अशुभ अशुभ अशुभ अशुभ प्रीति भवेध प्रीति |शत्रु मध्यम | भवेध श्रेष्ठतर |शुभ वेध अशुभ अशुभ | अशुभ | वेध वैर | २ अशुभ अशुभ वैर स्व 94 अशुभ | श्री ऋषभदेवजी | श्री अजितनाथजी ३ श्री सम्भवनाथजी | श्री अभिनन्दनजी | श्री सुमतिनाथजी श्री पद्मप्रभुजी | श्री सुपार्श्वनाथजी श्री चन्द्रप्रभजी | श्री सुविधिनाथजी श्री शीतलनाथजी ११ | श्री श्रेयांसनाथजी | श्री वासुपूज्यजी १३ | श्री विमलनाथजी | श्री अनन्तनाथजी |श्री धर्मनाथजी | श्री शान्तिनाथजी | श्री कुंथुनाथजी | श्री अरनाथजी | श्री मल्लिनाथजी श्री मुनिसुव्रतजी २१ | श्री नमिनाथजी | श्री नेमिनाथजी २३ | श्री पार्श्वनाथजी २४ | श्री महावीरस्वामीजी राशि पति मकर शनि अशुभ | वैर शुभ सम वेध श्रेष्ठ अशुभ श्रेष्ठ नर श्रेष्ठ मध्यम | भवेध श्रेष्ठतर मध्यम अशुभ स्व अशुभ एकनाथ वर्ण वश्य कर्क, मीन नक्षत्र |युजि धनिष्ठा | पश्चिम कुंभ वैश्य Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001933
Book TitleMuhurtraj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayprabhvijay
PublisherRajendra Pravachan Karyalay Khudala
Publication Year1996
Total Pages522
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size11 MB
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