SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 281
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [ मुहूर्तराज २१२ ] सूर्य नक्षत्र से -द्वारांगों पर स्थित चन्द्रनक्षत्र संख्या एवं तत्शुभाशुभफल बोध सारणी | द्वारांग | सूर्यनक्षत्र → | अ.भ. | कृ. रो. चन्द्रनक्षत्र म. आ. पु. पु. | आ. म. | पू. उ. | ह. | चि. स्वा. वि. अ. ज्ये. मू. पू. उ. श्र. | घ. श. |म. कृ. रो. म. | आ. पु.| पु.] आ. . वि. अ. ज्ये | उ. श्र. घ. श. मस्तक पर ४ म. कृ. रो. मृ. आ. पु. पु. आ. म. पू. | उ. ह. चि. स्वा. वि. अ. |ज्ये मू. पू. श. पू. في | ह. चि. | स्वा, वि. अ. | ज्ये. मू. पू. भा. भा. | रो. | मृ.| आपु.पु. आ. | |चि.स्वा.| वि अ.] ज्ये, मू. पू. उ. श्र.ध. श. पू. इ. र. अ.भ. | कृ. पा. पा. मृ. | आ. पु.पु. आ. म. ह. | चि. स्वा. वि. अ.| ज्ये, मू. पू. उ. श्र. |ध. श. पू.| उ. | रे.अ. भ. कृ. | भा. भा. | आ. पु. पु. आ. म. पू. उ. ह. चि. स्वा, वि. अ. ज्ये. मू. अ.म. कृ. रो.| मृ. . चि. | स्वा, वि. अ. ज्ये. रे. | अ.म. कृ. | रो. म. | आ. | #FREEHERE A स्वा, वि. अ. | ज्ये रे. भ. कृ. रो. म. आ. | पु. कोणों पर अ. भ. कृ. रो. म. आ. | पु.] चि. स्वा वि. अ. | अ. कृ.| रो मृ.| आपु.| पू. आ. | चि. स्वा. वि. अ. ज्ये, मू. रि. अ.म. कृ. रो. म. आ.पु. पु. | आ म. स्वा, वि. अ. ज्ये. मू. म. कृ. रो. मृ. आ. पु. पु. आ. | १४ | शुभ चि. स्वा. वि. अ. | ज्ये. अ. भ. कृ. | रो. म. आ. पु. पु.| आम. |स्वा, वि. अ. ज्ये. मू. |घ. | श. अ. म. कृ. गे, म. आ. पु. | पु. आ. म. पू. वि.अ. ज्ये. चि. स्वा. # चि. स्वा, वि. अ. __4 शाखाओं पर FFER ह. चि. स्वा. वि. अ. HE आ. भ. कृ. रो. म. | आ. पु. पु. आ. म. पू. ह. चि. स्वा. वि. | अ. ज्ये. शेष सारणी अगले पृष्ठ पर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001933
Book TitleMuhurtraj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayprabhvijay
PublisherRajendra Pravachan Karyalay Khudala
Publication Year1996
Total Pages522
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy