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________________ मुहूर्तराज ] तथा च - " शुक्लपक्षे भवेत्सौख्यं कृष्णे तस्करतो भयम् । अर्थात् शुक्लपक्ष गेहारम्भार्थ सुखद किन्तु कृष्णपक्ष में गेहारम्भ से चोर भय बना रहता है। उ. अब नीचे पूर्वादिदिग्द्वार वाले ४ गृहों के मानचित्र दिए जा रहे हैं तथा उनके लिए निषिद्ध तिथियाँ भी दर्शायी जा रही हैं पूर्वमुखद्वारगृह | | पू. ↑ द्वार प. पूर्णिमातोऽष्टमीं यावत् पूर्वास्यं वर्जयेद् गृहम् । उत्तरास्यं न कुर्वीत नवम्यादि चतुर्दशीम् ॥ अमावास्याष्टमीं यावत् पश्चिमास्यं विवर्जयेत् । नवम्यादौ दक्षिणास्यं यावच्छुक्ल चतुर्दशीम् । पूर्णिमा से कृष्णाष्टमी निषिद्ध तिथियाँ द. उ. Jain Education International उत्तरमुखद्वारगृह पू. द्वार निषिद्ध तिथियाँ एवं उनके कुफल J प. कृष्णनवमी से चतुर्दशी तक निषिद्ध तिथियाँ कृष्ण द. उ. गेहारम्भार्थ विहित एवं निषिद्ध तिथियाँ - ( व्यवहार समुच्चये ) विहित तिथियाँ - पश्चिमुखद्वारगृह पू. द्वार → प. अमावस्या से शुक्ल अष्टमी तक निषिद्ध तिथियाँ द. उ. " द्वितीया - पंचमी - मुख्यास्तृतीया षष्ठिका तथा । सप्तमी दशमी चैव द्वादश्येकादशी तथा ॥ त्रयोदशी पञ्चदशी तिथयः स्युः शुभावहाः । " For Private & Personal Use Only [ १९३ " दारिद्रयं प्रतिपत्कुर्यात् चतुर्थी धनहारिणी । अष्टम्युच्चाटनं चैव, नवमी शस्त्रघातिनी ॥ दर्शे राजभयं ज्ञेयं भूते दारविनाशनम् ॥" दक्षिणमुखद्वारगृह पू. द्वार -> प. शुक्ल नवमी से शुक्ल चतुर्दशी तक निषिद्ध तिथियाँ गृहनिर्माण में २, ३, ५, ६, ७, १०, ११, १२, १३ और १५ पूर्णिमा ये तिथियाँ शुभ हैं, किन्तु १, ४, ८, ९, १४ और ३० ये अशुभ तिथियों के फल ये हैं द. www.jainelibrary.org
SR No.001933
Book TitleMuhurtraj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayprabhvijay
PublisherRajendra Pravachan Karyalay Khudala
Publication Year1996
Total Pages522
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size11 MB
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