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________________ मुहूर्तराज ] [१८७ - अथ वृषभवास्तुचक्र (सूर्यनक्षत्र गणित चन्द्रनक्षत्र स्थित्यनुसार फलसहित) भाग I - | सूर्यनक्षत्र पुन. पु. आश्ले. म.पू.फा. कृ. आर्द्रा | पुन. फल वत्सा चं.न. चं.न. चं.न. | चं.न. चं.न. चं.न. च.न. |चं.न. चं.न. चं.न. चं.न. चं.न. |चं.न. |चं.न. अश्वि . भर. १ भर. |कृति. | रोहि. मृग मृग आद्रा मृग | आद्रा | पन. शीर्षे ३ आर्द्रा पुन. पुष्य अग्निदाह । पुन. पुष्य आश्ले. मघा | पू.फा. | उ.फा. | हस्त | चित्रा पुष्य आश्ले. मघा पू.फा. चित्रा स्वाती आश्ले. मघा पू.फा. | उ.फा. | हस्त | | चित्रा | स्वाती | विशा. मृग आर्द्रा आद्रा अनु. | २ | अग्रपादे ४ पुन. | पुष्य |आश्ले. मघा | पू.फा. |उ.फा. |हस्त चित्रा | स्वाती | विशा. अनु. पुन. पुष्य आश्ले. मघा | उ.फा. हस्त चित्रा | स्वाती | विशा. | पुष्य | आश्ले. मघा. | उ.फा. | हस्त चित्रा स्वाती आश्ले मघा प.फा. उ.फा. हस्त | चित्रा स्वाती | विशा अनु. | ज्येष्ठा मूल | पू.षा. आवासशून्यता पन. १५. पू.फा ज्यष्ठा मूल पुन. पुष्य | ३ | पृष्ठपादे ४ पुष्य आश्ले| मघा | पू.फा. | उ.फा. | हस्त चित्रा स्वाती | विशा अनु. ज्येष्ठा पू.षा. | उ.षा. आश्ले | मघा | पू.फा. | उ.फा. | हस्त | | चित्रा स्वाती विशा | उ.षा. | अभि. मघा पू.फा. उ.फा. हस्त | चित्रा |स्वाती | विशा अभि. |श्रवण पू.फा. उ.फा. | हस्त | चित्रा | स्वाती | विशा | अनु. ज्येष्ठा | अभि. श्रवण धनि. स्थिरता मूल ४ | पृष्ठे ३ | उ.फा. | हस्त | चित्रा | स्वाती विशा | अनु. ज्येष्ठा मूल पू.षा. | उ.षा. अभि. श्रवण | धनि. । | चित्रा | स्वाती | विशा | अनु. | पू.षा. | उ.षा. अभि. श्रवण | धनि. | चित्रा | स्वाती | विशा | अनु. | ज्येष्ठा | मूल |पू.षा. | उ.षा. अभि. श्रवण | धनि. शत. पू.भा. उ.भा. शत. श्रीप्राप्ति पू.षा. उ.षा. धनि. स्वाती विशा | अनु. | ज्येष्ठा मूल विशा | अनु. ज्येष्ठा | मूल | ५ | दक्षकुक्षौ ४ ज्येष्ठा | मूल | पू.षा. उ.षा. ज्येष्ठा | मूल पू.षा. | उ.षा. अभि. उ.षा. अभि. श्रवण अभि. श्रवण श्रवण | धनि. शत. धनि. |शत. पू.भा. धनि. शत. पू.भा. उ.भा. रेवती | उ.भा. रेवती | अश्वि . | उ.भा. | रेवती | अश्वि भर. उ.भा. रेवती । | अश्वि भर कृति. लाभ श्रवण मूल पू.षा. भर | कृति. ६ | पुच्छे ३ उ.षा. | अभि. | उ.षा. | अभि. श्रवण धनि. श्रवण | धनि. अभि. श्रवण | पू.भा. पू.षा. उ.षा. शत. शत. पू.भा. उ.भा. रेवती | अश्वि पू.भा. | उ.भा. रेवती अश्वि भर । उ.भा. रेवती अश्वि | भर कृति. गृहकर्तृनाश धान. | शत. धनि. रोहि. मृग. अभि. श्रवण |शत. भर कृ आर्द्रा पून. पू.भा. | उ.भा. रेवती | अश्वि उ.भा. | रेवती अश्वि श्रवण धनि. भर वामकुक्षौ पष्य ॥ श्व पुन. धनि. शत. पू.भा. पू.भा. उ.भा. उ.भा. रेवती धनि. शत. पुष्य शत. पू.भा. अश्वि | भर कृति. रोहि. आश्ले मघा. नित्यपीडा | निर्धनता पू.भा. | उ.मा. | रेवती | अश्वि | भर कृति. रोहि. मृग. | 1८ | मुखे ३ । उ.भा. | रेवती | अश्वि भर कृति. मृग. आर्द्रा रेवती | अश्वि भर | कृति. | रोहि. | मृग. | आर्द्रा पुन. | | रोहि. पुन. पुष्य आश्ले. मघा पू.फा. पुष्य आश्ले. मघा । आश्ले. मघा पू.फा. | उ.फा. हस्त उ.फा. पुष्य Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001933
Book TitleMuhurtraj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayprabhvijay
PublisherRajendra Pravachan Karyalay Khudala
Publication Year1996
Total Pages522
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size11 MB
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