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मुहूर्तराज ]
[१७५
- उदाहृत क्षेत्रफलीय भूभाग के आयादि बोध सारणी -
ल. २० X १६ चौ. पिण्ड = क्षेत्रफल ३२०
३२०
३२०
३२०
३२०
३२० X९
३२० XE
X९
३२० X८
X3
३२० X८
३२० X८
X४
X८
२८८०
२८८०
१९२०
२५६०
२५६०
२५६०
१२८०
२५६०
१२०
ल. ३६०
४११
। २१३
।
१२०
९४
शे. 0 अर्थात्
शे. ३३
0 अर्थात्, २२
आय
वार
अंश
।
धन
ऋण
नक्षत्र
तिथि
योग
आयु
सम संख्या होने से अशुभ
शुक्ला दशमी
अशुभ
शुभ
निर्धनता | निर्धनता ।
श्रवण
नेष्ट
अत: उक्तक्षेत्रफलीय भूभाग आवासार्थ भवन बनवाने के लिए नेष्ट हैं क्योंकि इसमें आयु संख्या अतिन्यून है तथा आय वार भी अशुभ है तथा धनांश से ऋणांश भी अधिक है। आयों के नाम उनकी दिशास्थिति एवं शुभाशुभता - (आ.सि.)
ध्वजो धूमो हरिः श्वा गौः, खरो हस्ती द्विकः क्रमात् ।
पूर्वादिबलिनोऽष्टाया विषमास्तेषु शोभनाः ॥ अर्थ - ध्वज, धूम, हरि, (सिंह) श्वा (कुत्ता) गौ (गाय-बैल) खर (गधा) हाथी एवं द्विक (कौआ) से आठ आय पूर्वादि ईशानान्त ८ दिशाओं में नित्य स्थित एवं बलवान हैं। इन आयों में से विषम आय ध्वज, सिंह, वृषभ एवं हस्ती ये शुभ हैं
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