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________________ मुहूर्तराज ] [१७१ काकिणी उदाहरण - जयपुर में नरेन्द्रकुमार अपना भवन बनवाना चाहता है अत: हमें जयपुर एवं नरेन्द्रकुमार की काकिणियाँ ज्ञात करनी पड़ेगी। 'जयपुर' इस नाम के आदि वर्ण ज का वर्ग सिंह है, जिसकी क्रम संख्या गरुड (इस प्रथम वर्ग से) वर्ग से ३ है, अत: ३ को २ से गुणा करने पर ३ X २ = ६ हुए इसमें नरेन्द्रकुमार के आदि वर्णन की वर्गसंख्या गरुड वर्ग से पाँचवीं है। अत: ५ जोड़े तो ६ + ५ = ११ हुए। इसमें ८ का भाग लगाने पर ११ ८ = १० शेष ३ रहे। यह जयपुर की काकिणी हुई। और नरेन्द्र की वर्ग संख्या ५ को २ से गुणा करके उसमें जयपुर की वर्ग संख्या ३ जोड़कर ८ का भाग देने पर ५ X २ = १० + ३ = १३ + ८ = ५ (शेष) रहे। यह नरेन्द्र की काकिणी हुई। इन दोनों काकिणियों का अन्तर २ हुआ। अत: जयपुर नरेन्द्र से २ के अनुपात में लेने वाला है और नरेन्द्र उसे २ के अनुपात में देने वाला है अत: नरेन्द्र के लिए जयपुर नगर में भवन बनवाना लाभप्रद नहीं, क्योंकि जयपुर की काकिणी कम है और नरेन्द्र की काकिणी अधिक है। जिसकी काकिणी अधिक हो वह कम काकिणी वाले का ऋणी है। यदि नरेन्द्र जयपुर में भवन बनावे, तो उसकी सम्पत्ति एवं सौख्य में कदापि वृद्धि नहीं हो सकेगी। काकिणी के सम्बन्ध स्पष्टतया निर्देश स्ववर्ग द्विगुणं कृत्वा परवर्गेण योजयेत् । अष्टभिस्तु हरेद् भागं योऽधिकः स ऋणी भवेत् ॥ अर्थ - पूर्वश्लोक-वत् ही है। गृहनिर्माणार्थ गृहकर्ता एवं ग्राम/नगर राशि में पालक सारणी यदि गृहपति की नाम राशि हो ग्राम/नगर की राशियाँ होनी चाहिए यदि गृहपति की नाम राशी हो १ मेष ७ तुला ८ वृश्चिक ३ मिथुन ४ कर्क वृष, सिंह, धनु, मकर, कुम्भ, | वृश्चिक, कुंभ, मिथुन, कर्क, सिंह मिथुन, कन्या, मकर, कुंभ, मीन | धन, मीन, कर्क, सिंह, कन्या कर्क, तुला, कुंभ, मीन, मेष | मकर, मेष, सिंह, कन्या तुला सिंह, वृश्चिक, मीन, मेष, वृष कुंभ, वृष, कन्या, तुला, वृश्चिक कन्या , धनु, मेष, वृष, मिथुन मीन, मिथुन, तुला, वृश्चिक, धनु तुला, मकर, वृष, मिथुन, कर्क मेष, कर्क, वृश्चिक, धनु, मकर ९ धनु १० मकर ११ कुम्भ १२ मीन ५ सिंह ६ कन्या Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001933
Book TitleMuhurtraj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayprabhvijay
PublisherRajendra Pravachan Karyalay Khudala
Publication Year1996
Total Pages522
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size11 MB
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