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[ मुहूर्तराज नूतनवस्त्र धारण में रविवार से शनिवार तक के वारों में कतिपय वार शुभ एवं कतिपय अशुभ है उनका फलाफल निर्देश करते हुए व्यवहार प्रकाश में कहा गया हैनवाम्बरपरीभोगे
कुर्वन्त्यर्कादिवासराः ।। जीर्णं जला शोकं च धनं ज्ञानम् सुखम् मलम् ॥
अर्थात् - नवीनवस्त्र धारण करने में सूर्यादिवार क्रमश: वस्त्रजीर्यता, वस्त्र की सतत जलार्द्रता, वस्त्रधारण कर्ता को शोक, धनलाभ, ज्ञान, सुख और मल ये फल देते हैं।
___ - वारानुसार नूतनवस्त्रधारण शुभाशुभ फल बोधक सारणी -
वार
→
रवि
चन्द्र
मंगल
|
बुध
।
गुरु
शुक्र ।
शनि
फल →
जीर्णता
सतत जल से भीगा रहना
शोक
धन लाभ
| ज्ञान
सुख
वस्त्र का मैला ही रहना
कतिपय आचार्य वस्त्रधारण के विषय में
व्यापार्यते रवी पीतं बुधे नीलं शनौ शितिः । गुरुभार्गवयोः श्वेतं रक्तं मंगलवासरे ॥
इस श्लोक का तात्पर्य सारणी में देखिए
- विभिन्न वर्णके वस्त्रों के धारण में विहित वार - | वार → | रवि | चन्द्र मंगल | बुध । गुरु ।
शुक्र
शनि
1
वस्त्र
पीला
|
नील
लाल
श्वेत
X
श्वेत
काला
वर्ण
स्त्रियों के लिए नूतन वस्त्र एवं अलंकारादि धारण मुहूर्त के विषय में आरंभसिद्धि में कथित है
योषिद्भजेत करपञ्चक वासवाश्वि पौष्णेषु वक्रगुरुशुक्रदिनेशवारे ।
मुक्ताप्रवालमणिशंखसुवर्णदन्तरक्ताम्बराण्यविधवात्वमतिः सती चेत् ॥ अन्वय - यदि सती अविधवात्वमति: चेत् तर्हि सा योषिद् वक्रगुरुशुक्र दिनेशवारे करपञ्चक वासवाश्विपौष्णेषु (नक्षत्रेषु) मुक्ताप्रवालमणि शंखसुवर्णदन्तरक्ताम्बराणि भजेत।
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