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________________ मुहूर्तराज ] [ १६१ अश्विनी आदि रेवत्यन्त नक्षत्रों में नूतनवस्त्र धारण के शुभाशुभ फल निम्नलिखित सारणी में सम्यक् ज्ञानार्थ देखिए क्र.सं. २ ३ ४ ५ ६ ७ ८ ९ १२ नक्षत्र अश्विनी १३ भरणी १४ कृत्तिका रोहिणी मृगशिर आर्द्रा १० मघा पुनर्वसु ११ पूर्वा फा. पुष्य आश्लेषा उत्तरा फा. — हस्त अथनववस्त्रधारण में शुभाशुभफलद नक्षत्र बोध सारणी क्र.सं. Jain Education International फल नष्टवस्तुलाभ मरण अग्नि से जलना अर्थसिद्धि चूहे आदि द्वारा कुतर जाना मरण धन प्राप्ति अर्थागम शोक मृत्यु राजभय सम्पद्लाभ १५ १६ १७ १८ १९ २० २१ २२ २३ २४ २५ २६ २७ नक्षत्र For Private & Personal Use Only स्वाती विशाखा अनुराधा ज्येष्ठा मूल पूर्वाषाढ़ा उत्तराषाढ़ा श्रवण धनिष्ठा शतभि. पू.भा. उ.भा. फल रेवती सुभोजनलाभ लोकप्रियता मित्र लाभ वस्त्र नाश जल में डूब जाना रोग कर्मसिद्धि चित्रा विद्यालाभ ऊपर लिखे वस्त्रधारण के शुभफलद नक्षत्र केवल श्वेत धारण में ही नहीं हैं, अपितु लाल वस्त्रधारण में भी उपरिलिखित शुभ फलदायी नक्षत्र ही ग्रहणीय हैं, ऐसा व्यवहार में कहा गया है; किन्तु व्यवहार सार में तो ऐसा कहा गया है कि रक्त वस्त्रधारण में पुरुषों के लिए भी वे ही नक्षत्र ग्राह्य हैं जो स्त्रियों के लिए आगे कहे जाएंगे। किन्तु “ नष्टप्राप्ति..... स्यात् ” इन दो श्लोकों में जो वस्त्रधारण के लिए शुभनक्षत्र वर्णित हैं वे केवल श्वेत वस्त्र के लिए ही है। अभीभिष्ट भोजन नेत्ररोग धान्यप्राप्ति विषभय जलभय धनप्राप्ति रत्नलाभ www.jainélibrary.org
SR No.001933
Book TitleMuhurtraj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayprabhvijay
PublisherRajendra Pravachan Karyalay Khudala
Publication Year1996
Total Pages522
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size11 MB
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