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इस विषय में वसिष्ठ
अर्थ - दिग्द्वार की राशि के लग्न में यात्रा अर्थ एवं विजय प्रदान करती है तथा दिशा विपरीत राशि यदि यात्रालग्न में हों तो उस समय की गई यात्रा हानि एवं शत्रुभय करती है।
और "बृहदयात्रा" में वराह भी
क्र.सं.
१
अर्थात् दिशाओं की अनुकूल राशियों के यात्रालग्न में रहते यात्रा करना अनायास सिद्धि प्राप्त कराता है जबकि दिशा प्रतिकूल राशियाँ लग्नगत होने पर यात्रार्थी का यात्राश्रम व्यर्थ हो जाता है अर्थात् उसे सिद्धि प्राप्त नहीं होती ।
२
३
लग्नगते
यात्रार्थविजयप्रदा ।
दिग्द्वार भे लग्ने दिक्प्रतिलोमे सा हानिदा शत्रुभीतिदा ॥
४
यातव्यदिक्तनुगतस्य सुखेन सिद्धिः व्यर्थश्रमो भवति दिक्प्रतिलोमलग्ने ।
- दिशानुसार यात्रा में शुभाशुभफलद यात्रालग्न बोधक सारणी
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दिशाएँ
पूर्व
पश्चिम
उत्तर
दक्षिण
दिशाओं के स्वामी - (मु. चि. या. प्र. श्लो. ४९ वाँ)
शुभफलद यात्रालग्न
मेष, सिंह, धनु
मिथुन, तुला, कुंभ
कर्क, वृश्चि., मीन
[ मुहूर्तराज
वृषभ, कन्या, मकर
अशुभफलद यात्रालग्न
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मिथुन, तुला, कुम्भ
मेष, सिंह, धनु
सूर्यः सितो भूमिसुतोऽथ राहुः शनिः शशी ज्ञश्च बृहस्पतिश्च । प्राच्यादितो दिक्षु विदिक्षु चापि दिशामधीशाः क्रमतः प्रदिष्ठाः ॥
वृषभ, कन्या, मकर
कर्क, वृश्चिक, मीन
अन्वय सूर्य:, सित:, भूमिसुतः अथ राहुः, शनि:, शशी, ज्ञः, बृहस्पतिश्च क्रमतः प्राच्यादित: दिक्षु विदिक्षु चापि दिशामधीशाः प्रदिष्टाः (कथिता: ) ।
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