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________________ मुहूर्तराज ] [ १०३ गुरु को यात्रा करने पर व्यक्ति को क्षेम तथा स्वास्थ्य प्राप्त होते हैं। शुक्र को यात्रा शुभलाभकारी होती है, किन्तु शनि को यात्रा करने से बन्धन, हानि, रोग तथा मृत्यु एवं मृत्युतुल्य संकट होते हैं, ऐसा गर्गादिक मुनियों का मत है। यात्रा में वारों की ग्राह्याग्राह्यता - वसिष्ठ - सुरेज्यदैत्येज्यशशीन्दुजानां वाराश्च वर्गाः शुभदाः प्रयाणे | आदित्यभूसूनुशनैश्चराणां वाराश्च वर्गाः न शुभप्रदाः स्युः ॥ अन्वय - सुरेज्यदैत्येज्यशशीन्दुजानां वाराः एषां वर्गाश्च प्रयाणे शुभदाः तथा च आदित्यभूसूनुशनैश्चराणां वारा: वर्गाश्च (प्रयाणे) शुभप्रदाः न भवन्ति । अर्थ गुरु, शुक्र, चन्द्र और बुध ये वार तथा इनकी अधिकृत राशियों (धनु, मीन, वृष, तुला, कर्क, मिथुन और कन्या) के वर्ग प्रयाण में (यात्रा में) शुभकारी है। किन्तु सूर्य, मंगल और शनि ये वार तथा इनकी अधिकृत राशियों के ( सिंह, मेष, वृश्चिक, मकर और कुंभ) वर्ग प्रयाण में अशुभ है। वारशूल एवं नक्षत्रशूल - ( मु. चि. या. प्र. श्लो. १० वाँ) न पूर्वदिशि शक्रभे न विधुसौरिवारे तथा । न चाजपदभे गुरौ यमदिशीनदैत्येज्ययोः ॥ न पाशिदिशि धातृभे, कुजबुधेऽर्यमर्क्षे तथा । न सौम्यककुभि व्रजेत्स्वजयजीवितार्थी बुधः ॥ अन्वय स्वजयजीविनार्थी (निजविजयजीवनेच्छु:) बुधः शक्रभे (ज्येष्ठायाम्) तथा विधुसौरिवारे (चन्द्रशनिवारयोः) पूर्वदिशि तथा च अजपादमे (पूर्वाभाद्रपदानक्षत्रे ) तथा गुरौ यमदिशि ( दक्षिणस्याम्) तथैव इनदैत्येज्ययोः (रविशुक्रवारयोः) धातृभे च (रोहिणीनक्षत्रे) पाशिदिशि (वरुणदिश पश्चिमस्याम्) कुजबुधे (मंगलवारे बुधवारे वा) तथा अर्यमर्क्षे (उत्तराफल्गुन्याम्) सौम्यककुभि ( उत्तरदिशि ) न व्रजेत् ( नहि गच्छेत्) Jain Education International अर्थ धन, विजय एवं उन्नति के इच्छुक व्यक्ति को चाहिए कि वह ज्येष्ठानक्षत्र में, सोम अथवा शनिवार को पूर्वदिशा की, पूर्वाभाद्रपदनक्षत्र में एवं गुरुवार को दक्षिण दिशा की, रवि या शुक्रवार को अथवा रोहिणी नक्षत्र में पश्चिम दिशा की तथा मंगल या बुध को अथवा उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में उत्तर दिशा की ओर प्रस्थान (यात्रा) न करें। उपर्युक्त वारों तथा नक्षत्रों में उक्त - २ दिशाओं में यात्रा करने से यात्री को धननाश, पराजय एवं मृत्यु अथवा मृत्युतुल्य कष्ट कुफल भोगने पड़ते हैं। नारद ने भी न मन्देन्दुद्रिने प्राचीम्, न व्रजेद्दक्षिणां गुरौ । सितार्कयोर्न प्रतीचीं नोदीचीं ज्ञारयोरपि ॥ = For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001933
Book TitleMuhurtraj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayprabhvijay
PublisherRajendra Pravachan Karyalay Khudala
Publication Year1996
Total Pages522
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size11 MB
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