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________________ ९६ ] [ मुहूर्तराज अक्षरारम्भ मुहूर्त के विषय में - मार्कण्डेय पूजयित्वा हरिं लक्ष्मी देवीं चैव सरस्वतीम् । स्वविद्यासूत्रकारांश्च स्वांच विद्यां विशेषतः ॥ प्राप्ते तु पंचमे वर्षे, ह्यप्रसुप्ते जनार्दने । षष्ठी प्रतिपदं चैव वर्जयित्वा तथाष्टमीम् ॥ रिक्तां पञ्चदशीं चैव सौरिभौमदिने तथा । एवं सुनिश्चिते काले विद्यारंभं तु कारयेत् ॥ अन्वय - पञ्चमे वर्षे प्राप्ते हरिं लक्ष्मी सरस्वती देवीम् स्वविद्यासूत्रकारान् विशेषतः स्वां विद्याम् पूजयित्वा, हरिशयनमासचतुष्टमम् षष्ठी, प्रतिपदं, अष्टमीम्, रिक्ताम् (४, ९, १४) पञ्चदशीम् (पूर्णिमाम्) सौरिभौमदिने (शनिभौमवारौ) वर्जयित्वा एवं सुनिश्चिते काले (शिशो:) विद्यारंभम् (अक्षरारंभम्) कारयेत्। अर्थ - शिशु को जब पाँचवाँ वर्ष प्रारम्भ हो जाय तब भगवान विष्णु, लक्ष्मी, सरस्वती, स्वाविद्यासूत्रकारों एवं स्वविद्यादेवी की पूजा करके जबकि भगवान् विष्णु का शयनकाल न हो अर्थात् वृश्चिक से मिथुन राशि तक सूर्य के रहते, षष्ठी, प्रतिपदा, अष्टमी, चतुर्थी, नवमी, चतुर्दशी और पूर्णिमा को शनि और मंगलवार को छोड़कर शेष तिथियों एवं वारों में से किसी एक वार- तिथि को शिशु को अक्षरारंभ कराना चाहिए। विद्यारंभ मुहूर्त (वि.चि.सं.प्र. श्लोक ३८ वाँ) मृगात्कराच्छू तेस्त्रयेऽश्विमूलपूर्विकात्रये । गुरुद्वयेऽर्कजीववित्सितेऽह्नि षट्शरत्रिके ॥ शिवार्कदिद्विके तिथौ धुवान्त्यमित्रभे परैः । शुभैरधीतिरुत्तमा त्रिकोणकेन्द्रगैःस्मृता ॥ अन्वय - मृगात्त्रये (मृगशिरआ पुनर्वसुषु) करात्त्रये (हस्तचित्रास्वातीषु) श्रुतेस्त्रये (श्रवण धनिष्ठाशततारकासु) अश्विमूलपूर्विकात्रये गुरुद्वये (पुष्याश्लेषयोः) अर्कंजीववित्सितेऽह्नि) (सूर्यगुरुबुधशुक्राणामन्यतमे दिवसे) षट्छरत्रिके (षष्ठीपञ्चमीतृतीयासु) शिवार्कदिद्विके (एकादशीद्वादशीदशमीद्वितीयासु) आसु अन्यतमायां तिथौ तथा च शुभैः (शुभग्रहै:) केन्द्रत्रिकोणगैः (१, ४, ७, १०, ९, ५ स्थानानामन्यतमस्थानगतैः) सद्भिः अधीतिः (अध्ययनम्) उत्तमा स्मृता। परैः कैचिद् आचार्यै: ध्रुवान्त्यमित्रभे (उत्तरात्रयरोहिण्यनुराधासु अघीतिः (धनुर्विद्याध्ययनम्) उत्तमा स्मृता। अर्थ - मृगशिर, आर्द्रा, पुनर्वसु, चित्रा, स्वाती, श्रवण, घनिष्ठा, शत, भिषा, अश्विनी, मूल, पू.फा., पू.षा., पू. भा., पुष्य और आश्लेषा इनमें से किसी एक नक्षत्र को सूर्य, बुध, गुरु और शुक्र इनमें से किसी एक वार को ६, ५, ३, ११, १२, १० और २ इन तिथियों में से किसी एक तिथि को तथा Jain Education International . For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001933
Book TitleMuhurtraj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayprabhvijay
PublisherRajendra Pravachan Karyalay Khudala
Publication Year1996
Total Pages522
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size11 MB
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