SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 149
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ८० ] [ मुहूर्तराज अथ उपग्रह दोष –(मु.चि.वि.प्र.श्लो. ६३वाँ) शराष्टदिक् शुक्र नगातिधृत्यः तिथिकृतिश्च प्रकृतेश्च पंच । ५ ८१० २४ ७ १९ १५ १८ २१, २२, २३, २४, २५ उपग्रहाः सूर्यंभतोऽब्जताराः शुभा न देशे कुरुबाह्निकानाम् ॥ अन्वय - सूर्यभतः (सूर्याक्रान्तनक्षत्रात्) अब्जतारा: (चन्द्रनक्षत्राणि) शराष्टदिक्छक्रनगातिधृत्य: तिथिधृतिश्च प्रकृतेश्च (एकविंशतिसंख्यायाः) पञ्च (एकविंशति द्वाविंशति त्रयोविंशति चतुर्विशति पञ्चविंशतयः) उपर्युक्त संख्याकाः चेत्तदा उपग्रहाः (एतन्नामधेया दोषा:) भवन्ति। एते दोषाः कुरुबालिकानाम् (कुरुदेशे बाह्रीकदेशे च) शुभा न अदिते उपग्रहास्तत्रैव त्याज्याः। ___ अर्थ - सूर्यनक्षत्र से चन्द्रनक्षत्र यदि पांचवाँ, आठवाँ, दसवाँ, चौदहवाँ, सातवाँ, उन्नीसवाँ, पन्द्रहवाँ, अठारहवाँ, इक्कीसवाँ, बाइसवाँ, तेइसवाँ, चौबीसवाँ और पच्चीसवाँ हो तो उपग्रहनामक दोष होते हैं। इन दोषों को कुरुदेश और बाह्रीक देश में त्यागना चाहिए। इस विषय में नारद १८ भूकंप: सूर्यभात् सप्तमः विद्युच्चपंचमे । शूलोऽष्टमे च नवमे, शनिरष्टादशे ततः ॥ केतुः पञ्चदशे दण्डः, चोल्का एकोनिविंशतिः । निर्घातपातसंज्ञश्च ज्ञेयः स नवपंचके ॥ मोहनिर्घातकम्पाश्च कुलिशं परिवेषकम् ॥ २१-२२-२३-२४-२५ विज्ञेयाश्चैकविंशाख्यादारम्य च यथाक्रमम् ॥ चन्द्रयुक्तेषु भेष्वेषु शुभकर्म न कारयेत् ॥ १४ अर्थ - सूर्यनक्षत्र से चन्द्रनक्षत्र ७वाँ हो तो भूकंपनामक, पाँचवाँ हो तो विद्युन्नामक, आठवाँ हो तो शूलनामक, नवाँ हो तो शनिनामक, अठारहवाँ हो तो केतु नामक, पन्द्रहवाँ हो तो दण्डनामक, उन्नीसवाँ हो तो उल्कानामक, चौदहवाँ हो तो निर्घातपात नामक, इक्कीसवाँ हो तो मोहनामक, बाईसवाँ होतो निर्घातनामक, तेईसवाँ हो तो कम्पनामक, चौबीसवाँ हो तो कुलिशनामक और पच्चीसवाँ हो तो परिवेषनामक उपग्रहदोष होता है। इनमें किसी भी शुभकार्य को नहीं करना चाहिए। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001933
Book TitleMuhurtraj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayprabhvijay
PublisherRajendra Pravachan Karyalay Khudala
Publication Year1996
Total Pages522
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy