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४८ ]
क्रम
संख्या
१०
११
१२
१३
१४
१५
१६
१७
१८
१९
२०
x x m x 2 w 2
२१
२२
२३
२४
२५
२६
२७
सूर्य नक्षत्र
अश्विनी
भरणी
कृतिका
रोहिणी
मृगशिरा
आर्द्रा
पुनर्वसु
पुष्य
आश्लेषा
मघा
पूर्वाफाल्गुनी
उत्तराफाल्गुनी
हस्त
चित्रा
स्वाती
विशाखा
मूल
पूर्वाषाढ़ा
उत्तराषाढ़ा
मूल
अनुराधा पूर्वाषाढ़ा
ज्येष्ठा
उत्तराषाढ़ा
श्रवण
धनिष्ठा
शतभिषा
श्रवण
धनिष्ठा
शतभिषा
पूर्वाभाद्रपद
उत्तराभाद्रपद
रेवती
चतुर्थ ४
रोहिणी
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मृगशिरा
आर्द्रा
पुनर्वसु
पुष्य
आश्लेषा
मघा
पू. फा.
उ. फा.
हस्त
चित्रा
स्वाती
विशाखा
अनुराधा
ज्येष्ठा
पू. भाद्र
उ. भाद्र
रेवती
अश्विनी
भरणी
कृतिका
- अथ रवियोग ज्ञापक सारणी
निम्नांकित चन्द्र नक्षत्र (दिन नक्षत्र) के योग से
षष्ठ ६
आर्द्रा
पुनर्वसु
पुष्य
आश्लेषा
मघा
पू.फा.
उ. फा.
हस्त
चित्रा
स्वाती
विशाखा
अनुराधा
ज्येष्ठा
मूल
पूर्वाषाढ़ा
उषा.
श्रवण
धनिष्ठा
शतभिषा
पू. भाद्र
उ. भाद्र
रेवती
अश्विनी
भरणी
कृतिका
रोहिणी
मृगशिरा
नवम् ९
आश्लेषा
मघा
पू. फा.
उ. फा.
हस्त
चित्रा
स्वाती
विशाखा
अनुराधा
ज्येष्ठा
मूल
पूर्वाषाढ़ा
उषा.
श्रवण
धनिष्ठा
शतभिषा
पू.भा.
उ.भा.
रेवती
अश्विनी
भरणी
कृतिका
रोहिणी
मृगशिरा
आद्रा
पुनर्व
दशम १०
मघा
पू. फा.
उ. फा.
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हस्त
चित्रा
स्वाती
विशाखा
अनुराधा
ज्येष्ठा
मूल
पूर्वाषाढ़ा
उषा.
श्रवण
धनिष्ठा
शतभिषा
पू.भा.
उ.भा.
रेवती
अश्विनी
भरणी
कृतिका
रोहिणी
मृगशिरा
आद्रा
पुनर्वसु
पुष्य
आश्लेषा
त्रयोदश १३
हस्त
चित्रा
स्वाती
विशाखा
अनुराधा
ज्येष्ठा
मूल
पूर्वाषाढ़ा
उ. षा.
श्रवण
धनिष्ठा
शतभिषा
पू.भा.
उ.भा.
रेवती
अश्विनी
भरणी
कृतिका
रोहिणी
मृगशिरा
आद्रा
पुनर्वसु
पुष्य
आश्लेषा
मघा
पू. फा.
उ. फा.
[ मुहूर्तराज
विंश २०
पूर्वाषाढ़ा
उषा
श्रवण
धनिष्ठा
शतभिषा
पू.भा.
उ.भा.
रेवती
अश्विनी
भरणी
कृतिका
रोहिणी
मृगशिरा
आर्द्रा
पुनर्वसु
पुष्य
आश्लेषा
मघा
पू. फा.
उ. फा.
पुष्य
मूल
चक्र निरीक्षण विधि - दूसरे कोष्टक में सूर्य नक्षत्र है और उनके आगे के ६ कोष्ठकों में दिन नक्षत्र हैं, दोनों नक्षत्रों को पंचांग में ज्ञात करके रवियोग ज्ञात किया जा सकता यथा अश्विनी नक्षत्र पर यदि सूर्य हो तो रोहिणी, आर्द्रा, आश्लेषा, मघा, हस्त और पूर्वाषाढ़ा दिन नक्षत्र रवियोग कारक होंगे ।
हस्त
चित्रा
स्वाती
विशाखा
अनुराधा
ज्येष्ठा
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