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| पू.भा.
पुष्य
सौम्य
३८ ]
[ मुहूर्तराज ये योग स्वनाम के अनुसार ही फलदायी होते हैं। आनन्दादियोगज्ञानोपाय (मु. चि. शुभाशु. प्र. श्लोक २५ वाँ)
दास्त्रादर्के मृगादिन्दौ, सार्पाद् भौमे, कराद् बुधे ।
मैत्राद् गुरौ, भृगौ वैश्वात्, गण्या मन्दे च वारुणात् ॥ अर्थ - रवि को अश्विनी से, सोम को मृगशिरा से, मंगल को आश्लेषा से, बुध को हस्त से, गुरु को अनुराधा से, शुक्र को उत्तराषाढा से और शनि को शतभिषा से दिन नक्षत्र तक अभिजित् सहित गणना करने पर दिननक्षत्र जितने क्रमांक का हो, उसी क्रमांक का आनन्दादि योग उस दिन होगा।
अथ वार निर्धारित नक्षत्र से दिन नक्षत्र गणनानुसार आनन्दादि योग ज्ञापक सारणी | क्र.सं. आनंददियोग | रविवार | सोमवार | मंगलवार | बुधवार | गुरुवार | शुक्रवार | शनिवार आनन्द अश्विनी मृगशिरा आश्लेषा
अनुराधा उत्तराषाढ़ा शतभिषा कालदण्ड भरणी आर्द्रा मघा चित्रा ज्येष्ठा
अभिजित् कृतिका पुनर्वसु पू.फा. स्वाती
श्रवण | उ.भा. धाता रोहिणी
उ.फा. विशाखा पूर्वषाढ़ा धनिष्ठा रेवती मृग
आश्लेषा हस्त अनुराधा उत्तराषाढ़ा शतभिषा | अश्विनी ध्वांक्ष आर्द्रा मघा चित्रा ज्येष्ठा
अभिजित्
पू.भा. भरणी केतु पुन पू.फा. स्वाती
श्रवण उ.भा. कृतिका श्रीवत्स विशाखा पूर्वाषाढ़ा धनिष्ठा
रोहिणी वज्रक आश्लेषा
अनुराधा उत्तराषाढ़ा शतभिषा अश्विनी मृग मुद्गर मघा
अभिजित्
भरणी | आर्द्रा छत्र
स्वाती
श्रवण उ.भा. कृतिका पुनर्वसु मित्र उ.फा. विशाखा पूर्वाषाढ़ा धनिष्ठा
रोहिणी पुष्य मानस हस्त अनुराधा उत्तराषाढ़ा शतभिषा अश्विनी
आश्लेषा पद्य चित्रा ज्येष्ठा अभिजित् पू.भा. भरणी
आर्द्रा
मघा लुम्बक स्वाती मूल श्रवण उ.भा.
कृतिका
पुनर्वसु पू.फा. उत्पात विशाखा
धनिष्ठा रेवती रोहिणी पुष्य उ.फा. मृत्यु अनुराधा उ.षा. शतभिषा अश्विनी
आश्लेषा हस्त काण ज्येष्ठा अभिजित् भरणी आर्द्रा
चित्रा मूल
श्रवण उ.भा. कृतिका पुनर्वसु पू.फा. स्वाती शुभ धनिष्ठा रेवती रोहिणी
उ.फा. विशाखा अमृत शतभिषा अश्विनी
आश्लेषा
अनुराधा मुसल अभिजित् पू.भा. भरणी
मघा
ज्येष्ठा गद श्रवण उ.भा. कृतिका पुनर्वसु पू.फा.
स्वाती मातंग धनिष्ठा रोहिणी
उ.फा. विशाखा पूर्वाषाढ़ा शतभिषा अश्विनी मृग. आश्लेषा हस्त
अनुराधा उत्तराषाढ़ा चर पू.भा. भरणी
मघा
ज्येष्ठा अभिजित् सुस्थिर उ.भा.
कृतिका पुनर्वसु पू.फा. स्वाती
श्रवण प्रवर्धमान रेवती रोहिणी पुष्य
विशाखा पूर्वाषाढ़ा धनिष्ठा
पुष्य
उ.फा.
रेवती
चित्रा
ज्येष्ठा
| पू.भा.
पू.फा.
रेवती
मग
पू.षा.
मृग.
पू.भा.
मघा
सिद्धि
पुष्य
पू.षा. उ.षा.
मृग.
आर्द्रा
चित्रा
मूल
रेवती
पुष्य
आर्द्रा
चित्रा
मूल
उ.फा.
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