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तीर्थकर
विशेष बात
एक बात विशेष विचारणीय है। आधुनिक विज्ञान के अनुसन्धान द्वारा ऐसी अनेक शोधों तथा आविष्कारों की उपलब्धि हुई है, जिसका जैन शास्त्रों में पहले ही कथन किया जा चुका है । पुद्गल तत्व में अचिन्त्य अनन्त शक्तियों का भण्डार है, यह जैनमान्यता आज के भौतिक विचित्र आविष्कारों द्वारा समर्थन को प्राप्त कर रही है । वैज्ञानिकों की एटम (अणु ) सम्बन्धी शोध ने संसार को चकित कर दिया है । जर्मन वैज्ञानिक प्रांस्टाइन ने यह प्रमाणित कर दिया कि एक माशा वजन के पुद्गल में शक्ति का इतना महान् भण्डार भरा है कि उससे दिल्ली से कलकत्ता पूरी लदी हुई डाकगाड़ी छह सौ बार गमनागमन कर सकती है। अमेरिकन शासन द्वारा प्रकाशित पुस्तक 'Exploring the Atom२ में लिखा है जब हम दियासलाई की एक लकड़ी जलाते हैं, तब एक मोमबत्ती जलाने योग्य पर्याप्त गर्मी प्राप्त होती है । यदि हम उस दियासलाई के अणुओं का विभाजन करते जाय, तो इतनी शक्ति प्राप्त हो जायगी, जिससे स्विटजरलैंड देश के हिमाच्छादित आल्प्स पर्वत का समस्त बर्फ पानी रूप परिणत कराया जा सकता है। जब ऐसी पुद्गल की
1 Einstein proved mathematically that one gram of matter,
if wholly converted into energy could perform about 900,000,000,000,000,000,000 ergs of work. One gram is about one masha in the India system of weights... . ...And the amount of energy expressed above can enable the fully loaded Calcutta Mail to make six hundred trips between Delhi and Calcutta--"Einstein's contribution to World"
article in 'The American Reporter of March, 1957. 2 "When we strike a match we have enough heat to light a
candle. But if we could break up the match atom by atom converting its entire mass into energy, it is said that we could have enough heat to melt all the snow in the Swiss Alps"- Exploring the Atom' Page 5.
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