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तीर्थकर
[ २२७ अणुव्रतों को धारण करनेवाली, धीर, सावधान रहनेवाली प्रियव्रता नाम की सती महिला विशुद्ध चरित्रवाली नारियों में अग्रेसरी हुई ।
अनंतवीर्य का सर्वप्रथम मोक्ष
भरत के भाई अनंतवीर्यकुमार ने भी भगवान से मुनिदीक्षा लेकर अपूर्व विशुद्धता प्राप्त की। इस युग में केवलज्ञान प्राप्त करके मोक्ष जानेवाले पूज्य पुरुषों में अनंतवीर्य भगवान का सर्वोपरि स्थान है । कहा भी है :
संबुद्धोऽनंतवीर्यश्च गरोः संप्राप्तदीक्षणः। सुरैरवाप्त-पूजधिरग्यो मोक्षवतामभूत् ॥१४--१८१॥
अनंतवीर्य ने प्रतिबोध को प्राप्त करने के पश्चात् भगवान से दीक्षा ली और देवों के द्वारा पूजा प्राप्त की। वे इस अवसर्पिणी में मोक्ष जाने वालों में अग्रणी हुए हैं।
मरीचि का मिथ्यात्व
___ भगवान के साथ दीक्षा लेने वाले तथा पश्चात् भ्रष्ट हुए समस्त राजाओं ने भगवान की वाणी को सुनकर अपने मिथ्यात्व का परित्याग कर जैनेश्वरी दीक्षा धारण की। मरीचिकुमार का संसारभ्रमण समाप्त नहीं हुआ था, अतः उस जीव ने मिथ्यामार्ग का आश्रय नही छोड़ा। कहा भी है :
मरीचिवाः सर्वेपि तापसास्तपसि स्थिताः।
भट्टारकान्ते संबुध्य महाप्रावाज्यमास्थिताः॥१८२॥
मरीचिकुमार को छोड़कर शेष सभी कुलिंगी साधुओं ने भट्टारक ऋषभदेव के समीप प्रतिबोध को प्राप्तकर महाव्रतों की दीक्षा ग्रहण की।
जिनेन्द्र भगवान ने आत्म-विशुद्धि के लिए द्रव्य, क्षेत्र, काल तथा भावरूप सामग्री चतुष्टय की अनुकूलता को आवश्यक कहा है ।
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