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तीर्थंकर
अर्हन्त पद
भगवान घातिया चतुष्टय का क्षय करने से अरिहंत हो गए । उनमें 'अरिह्ननादरिहन्ता' - कर्मारि के नाश करने से अरिहंत होते हैं, यह लक्षण पाया जाता है । 'अतिशयपूजार्हत्वाद्वार्हन्त' : - अतिशय पूर्ण पूजा को प्राप्त होने से 'अर्हन्त' हैं । यह पद प्रभु में पूर्णतया तब चरितार्थ होगा, जब वे समवशरण में शत - इन्द्रों के द्वारा अलौकिक पूजा को प्राप्त करेंगे। इस दृष्टि से सूक्ष्म विचार करने पर यह कथन अनुचित नहीं है, कि भगवान पहले अरिहंत होते हैं, पश्चात अरहंत या अर्हन्त होते हैं ।
णमो अरिहंताणं
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