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________________ पिण्डनिर्युक्ति-सूची गाथा ३६३ गाथा ३६४ गाथा ३६५-३६६ गाथा ३६७-४०० गाथा ४०१ गाथा ४०२ गाथा ४०३ गाथा ४०४ गाथा ४०५ गाथा ४०६ गाथा ४०७ गाथा ४०८-४०६ गाथा ४१० गाथा ४११ गाथा ४१२-४२० गाथा ४२१-४२७ गाथा ४२८ गाथा ४२६ गाथा ४३० गाथा ४३१ गाथा ४३२ Jain Education International ५१ अविशोधि कोटि का उद्गम अविशोधि कोटि उद्गम के दो भेद विशोधिकोटि उद्गम के चार भेद विशोधि कोटि की चतुर्भगी कोटिकरण के दो भेद क ख- उद्गम कोटि के छः भेद विशोधि कोटि के अनेक भेद उद्गम और उत्पादन की भिन्नता क- उत्पादन के चार भेद ख- द्रव्य उत्पादना के तीन भेद ग- भाव उत्पादना के सोलह भेद सचित्त द्रव्योत्पादना क- अचित्त द्रव्योत्पादना ख- मिश्र द्रव्योत्पादना भाव उत्पादना के दो भेद अप्रशस्त भावोत्पादना के सोलह भेद क- पांच प्रकार की धात्रियां ख- प्रत्येक धात्री के दो दो भेद धात्री शब्द की व्युत्पत्ति गाथा ४३२ क्षीर धात्री दोष का वर्णन मज्जन धात्री आदि शेष धात्री दोष दूती दोष के दो भेद क- प्रत्येक दूती दोष के दो दो भेद ख- छन्न दूती के दो भेद स्वग्राम और परग्राम प्रकट दूती स्व ग्राम-परग्राम लोकोत्तर छन्न दूती स्व ग्राम लोकिक - लोकोत्तर छन्न दूती For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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