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गाथा ८२
९३४
प्रकीर्णक -सूची
दीक्षा मुहूर्त में निषिद्ध नक्षत्र ज्ञान वृद्धि करने वाले नक्षत्र लोच के लिए श्रेष्ठ नक्षत्र
लोच के लिये अनिष्ट नक्षत्र क- दीक्षा के लिये श्रेष्ठ नक्षत्र ___ ख- गणी और वाचक पद देने के लिये श्रेष्ठ नक्षत्र
स्थिर कार्य के लिए श्रेष्ठ नक्षत्र शीघ्र कार्य संपादन के लिए श्रेष्ठ नक्षत्र
ज्ञान संपादन के लिए श्रेष्ठ नक्षत्र ३०-३३ मृदु कार्यों के लिए श्रेष्ठ नक्षत्र ३४-३५ तप प्रारम्भ करने के लिए श्रेष्ठ नक्षत्र
संस्तारक ग्रहण करने के लिए श्रेष्ठ नक्षत्र ३७-४० संघ के कार्यों के लिए श्रेष्ठ नक्षत्र ४१-४७ करण के नाम, शुभ कार्यों के लिए करण
छाया मुहूर्त ५३-५५ शुभ कार्यों के लिए श्रेष्ठ योग
तीन प्रकार के शकुन ५७-६०
तीन प्रकार के शकुनों में किये जाने वाले कार्य प्रशस्त और अप्रशस्त लग्न
मिथ्या और सत्य निमित्त ७०-७३ तीन प्रकार के निमित्त
निमित्त की सत्यता ७५-७६ प्रशस्त निमित्तो में प्रशस्त कार्य ७७-७८ अप्रशस्त निमित्त में सर्व कार्यों का निषेध ७६-८१ नव बलों में उत्तरोत्तर बलवान
८२ उपसंहार
४८-५२
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