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________________ सूत्र २०६ १८३ १८४ १८५ १८६ १८७ १८८ १८६ १६० १६१ १६२ . १६३ १६४ १६५ १६६ १६७ १६८ १६६ भ० पद्मप्रभ १० को उज्जयन्त शैल शिखर पर निर्वाण भ० अरिष्ट नेमिनाथ के पश्चात् कल्पसूत्र का वाचना काल भ० नमिनाथ के पश्चात् कल्पसूत्र का वाचना काल भ० मुनि सुव्रत के पश्चात् कल्पसूत्र का वाचना काल भ० मल्लिनाथ के पश्चात् कल्पसूत्र का वाचना काल भ० अरनाथ के पश्चात् कल्पसूत्र का वाचना काल भ० कुंथुनाथ के पश्चात् कल्पसूत्र का वाचना काल भ० शान्तिनाथ के पश्चात् कल्पसूत्र का वाचना काल भ० धर्मनाथ के पश्चात् कल्पसूत्र का वाचना काल भ० अनन्तनाथ के पश्चात् कल्पसूत्र का वाचना काल भ० विमलनाथ के पश्चात् कल्पसूत्र का वाचना काल २०१ २०२ २०३ भ० वासुपूज्य भ० श्रेयाँस नाथ भ० शीतल नाथ भ० सुविधि नाथ भ० चन्द्र प्रभ भ० सुपार्श्वनाथ 19 Jain Education International "1 1) "" 31 77 " 37 " 19 17 21 27 " २०० भ० सुमतिनाथ भ० अभिनन्दन भ० सम्भव नाथ भ० अजितनाथ भ० ऋषभदेव २०४ २०५ भ० ऋषभदेव के पाँच कल्याण २०६ क- आषाढ़ कृष्णा चतुर्थी के दिन भगवान की आत्मा का देव लोक से च्यवन " ३३ 37 " "2 For Private & Personal Use Only 33 कल्पसूत्र सूची " www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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