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________________ निशीथ-सूची ८-६ १० ११ १२-१७ १८ १६ २०-२८ १-४ ५ ६ ७-८ ६-१० ११-१२ १३ १४ १५-३० ३१-३४ ३५ ३६-३६ ४०-४७ १-८ ८८४ स्त्रियों के अंगोपांगों को देखना माँस आहार लेना राजा के चले जाने पर राजा के निवास स्थान में रहना यात्रियों से आहार लेना राज्याभिषेक के समय नगर में जाना आना निर्दिष्ट दस राजधानियों में बारम्बार जाना आना राज्याश्रित परिवारों से आहार लेना दशम उद्देशक गुरुजनों का अविनय करना अनन्तकाय -वनस्पति-संयुक्त आहार करना आधाकर्म- सदोष आहार करना ज्योतिष से वर्तमान और भविष्य बताना किसी के शिष्य को बहकाना अथवा भगाना दीक्षार्थी को मिथ्या परामर्श देना आगन्तुक श्रमण श्रमणियों से आने का कारण जाने बिना तीन दिन से अधिक साथ रखना लड़-झगड़कर आये अनुपशान्त श्रमण श्रमणी को प्रायश्चित्त दिये बिना तीन दिन से अधिक साथ रखना दोषानुसार प्रायश्चित्त न करना तथा दोषानुसार प्रायश्चित्त न लेने वालों के साथ आहारादि व्यवहार करना संदिग्ध समय में आहार करना संदिग्ध अन्न-पानी को निगलना रोगी श्रमण श्रमणी को परिचर्या न करना वर्षादास सम्बन्धी नियमों का भंग करना उ० ११ सूत्र इग्यारहवाँ उद्देशक पात्र सम्बन्धी मर्यादाओं का भंग करना Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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