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________________ २० निशीथ-सूची ८८२ उ० ५ सूत्र २४ चतुर्थ उद्देशक १-१८ राजादि को वश करना अखण्ड पक्व-फल या धान्य खाना प्राचार्य के दिये बिना आहार खाना प्राचार्य-उपाध्याय के दिये बिना दूध आदि विकृति-पदार्थ खाना २२ निषिद्ध कुल जाने बिना भिक्षार्थ जाना २३-२४ निग्रंथी के उपाश्रय में प्रविधि से प्रवेश करना २५-२६ कलह करना २७ अति हंसना २८-३७ पार्श्वस्थ आदि को वस्त्र देना ३८-३६ आहार विषयक प्रायश्चित्त ४०-४८ ग्राम रक्षक आदि को वश करना ४६-१०१ क-एक दूसरे के पैरों का परिकर्म करना ख-एक दूसरे के शरीर का संस्कार करना १०२-११० मल-मूत्रादि सम्बन्धी अविवेक करना १११ परिहार कल्पस्थित के साथ आहार-व्यवहार करना पंचम उद्देशक १-१२ सचित-सजीव वृक्ष के मूल में निषिद्ध कार्य करना १२-१३ अन्यतीर्थिक या गृहस्थ से कार्य करवाना क- वस्त्र सिलाना ख- मर्यादा से अधिक लम्बा चौडा वस्त्र बनाना १४ फलों को शीत या उष्ण पानी से धोकर खाना १५-२३ लौटाने की शर्त करके लाये हुए पदार्थ नियत समय पर न लौटाना २४ अत्यधिक लम्बे डोरे बनाना Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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