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व्यवहार सूत्र विषय-सूची
प्रथम उद्देशक १-२० निष्कपट और सकपट की आलोचना का प्रायश्चित्त २१ पारिहारिक और अपारिहारिक का एक साथ निवास २२-२७ परिहार कल्प स्थित का सेवा के लिये अन्यत्र जाना २५-३२ गण प्रवेश
क. गण से निकले हुए भिक्षु का पुनः गण प्रवेश ख- " " गणावच्छेदक का पुनः गण-प्रवेश ग- " " आचार्य उपाध्याय का पुनः गण-प्रवेश घ- पार्श्वस्थ भिक्षु का पुनः गण-प्रवेश ङ- अपछन्द भिक्षु का पुन: गण-प्रवेश च- कुशील भिक्षु का पुन: गण-प्रवेश छ- अवसन्न भिक्षु का पुनः गण-प्रवेश
ज- संसक्त, भिक्षु का पुन: गण-प्रवेश ३३ पश्चात्तापी की पुन: दीक्षा।
श्रालोचना सुनने वाले योग्य व्यक्ति के अभाव में जिनके सामने आलोचना करना उनका निर्देश
द्वितीय उद्देशक ५-४ प्रायश्चित्त काल में प्रमुख पद
क- दो में एक दोषी ख- दो में दोनों दोषी ग- अनेक में एक दोषी घ- अनेक में सब दोषी
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