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________________ ०० अनुयोगद्वार-सूची ८३८ सूत्र ११५. ६३ संग्रह नय से भंग दर्शन ६४ संग्रह नय से समवतार की व्याख्या ६५ क- संग्रह नय से अनुगम के आठ भेद ख- संग्रह नय से आठ भेदों की व्याख्या __औपनिधिकी द्रव्यानुपूर्वी के तीन भेद ९७ क- पूर्वानुपूर्वी की व्याख्या ख- पश्चानुपूर्वी की व्याख्या ग. अनानुपूर्वी की व्याख्या १८ क- औपनिधिकी द्रव्यानुपूर्वी के वैकल्पिक तीन भेद . ख- प्रत्येक भेद की व्याख्या क्षेत्रानुपूर्वी के दो भेद अनोपनिधिको क्षेत्रानुपूर्वी के दो भेद ०१ क- नेगम-व्यवहार नय से अनौपनिधिकी क्षेत्रानुपूर्वी के पांच भेद ख- प्रत्येक भेद प्रभेद की व्याख्या १०२ क- नैगम-व्यवहार नय से अनौपनिधिको क्षेत्रानुपूर्वी के पांच भेद ख- प्रत्येक भेद प्रभेद की व्याख्या १०३ क- औपनिधिकी क्षेत्रानुपूर्वी के तीन भेद ग- तिर्यग्लोक क्षेत्रानुपूर्वी के तीन भेद घ- उर्वलोक क्षेत्रानुपूर्वी के तीन भेद ङ- औपनिधिको क्षेत्रानुपूर्वी के वैकल्पिक तीन भेद ०४ कालानुपूर्वी के दो भेद १०५ अनौपनिधिकी कालानुपूर्वी के दो भेद १०६, नैगम व्यवहार नय से अनोपनिधिकी कालानुपूर्वी के पाँच भेद . १०७-१११ प्रत्येक भेद प्रभेद की व्याख्या ११२ संग्रह नय से अनौपनिधिकी कालानुपूर्वी के पाँच भेद ११३-११४ प्रत्येक भेद की व्याख्या ११५ उत्कीर्तनानुपूर्वी के तीन भेद । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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