SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 85
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रु०२, अ०१३उ०१ सू०१७२ ५७ आचारांग-सूची भैंसे आदि के युद्ध के स्थल अवलोकनार्थ जानेका निषेध विवाह स्थल " कथा 46 - सस 2 कलह वध " " शकट आदि का समूह महोत्सव सभी प्रकार के रूपों में आसक्ति रखने का निषेध सूत्र संख्या १ तेरहवां परक्रिया अध्ययन. प्रथम उद्देशक षष्ठ परक्रिया सप्तैकक १७२ 위 최 गृहस्थ से पैरों का प्रमार्जन न कराना मर्दन स्पर्श मालिश के लेपन गृहस्थ से पैरों का न धुलाना " " पैरों के विलेपन न कराना " " पैरों के धूप न दिलाना गृहस्थ से पैरों के काँटे न निकलवाना गृहस्थ से पैरों का पीप न निकलवाना " " शरीर का प्रमार्जन न कराना " " व्रण का मर्दन न कराना पैर विषयक ग से अ तक की पुनरावृत्ति गृहस्थ से गड़ (फोड़ा) आदि का शस्त्र से छेदन न कराना | 4 외 위 최 의 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy