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अ० ३५ गाथा ५
उत्तराध्ययन-सूची चार गतियों में लेश्याओं की स्थिति ४० चार गतियों में लेश्या-स्थिति कहने का संकल्प
नरक गति में लेश्याओं की स्थिति ४१ नरक गति में कापोत लेश्या की जघन्य-उत्कृष्ट स्थिति ४२ , नील लेश्या की जघन्य उत्कृष्ठ स्थिति
, कृष्ण लेश्या की जघन्य उत्कृष्ट स्थिति ४४ तिर्यच और मनुष्य गति में लेश्याओं की स्थिति ४५ कृष्ण से पद्म पर्यन्त लेश्याओं को जघन्य उत्कृष्ट स्थिति ४६ शुक्ल लेश्या की जघन्य उत्कृष्ट स्थिति ४७ देवगति में लेश्याओं की स्थिति ४८ देवगति में कृष्ण लेश्या की जघन्य-उत्कृष्ट स्थिति
नील लेश्या की जघन्य-उत्कृष्ट स्थिति
कापोत लेश्या की जघन्य-उत्कृष्ट स्थिति ५१-५३ , तेजो लेश्या की जघन्य-उत्कृष्ट स्थिति
५४ , पद्म लेश्या की जघन्य उत्कृष्ट स्थिति ५५ , शुक्ल लेश्या की जघन्य-उत्कृष्ट स्थिति
लेश्याओं की गति ५६ तीन अधर्म लेश्याओं की गति ५७ तीन धर्म लेश्याओं की गति ५८-६० लेश्याओं की परिणति में परलोक गमन ६१ उपसंहार—लेश्याओं के अनुभाव का ज्ञाता
पैतीसवाँ अनगार अध्ययन १ बुद्ध कथित मार्ग कहने का संकल्प २-३ संयत के संगों—बन्धनों का ज्ञान ४ साधु निवास के अयोग्य स्थान ५ अयोग्य स्थान में न ठहरने का कारण
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