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________________ १७ अ० २३ गाथा १३ ८०१ ... उत्तराध्ययन-सूची अरिपने मि के लिये केशव द्वारा राजिमती की याचना ६-१४ विवाह-मण्डप के समीप अरिष्टनेमि ने वध के लिये एकत्रित पशु-पक्षियों का वाड़ा देखा १५-१६ अरिष्टनेमि का सारथी से प्रश्न सारथी का उत्तर १८-२० अरिपनेमि का आत्महित चिन्तन, सारथि को पारितोषिक २१-२७ अरिपनेमि का दीक्षा महोत्सव और रैवतक पर्व त पर तप-साधना २८-३२ राजीमती की प्रव्रज्या ३३.४० क- राजीमती का रैवतक पर्वत पर स्थित भ० अरिपनेमि के दर्शन लिये जाना ख- मार्ग में वर्षा होना ग- आर्द्र वस्त्रों को सुखाने के लिये गुफा में जाना घ- गुफा में स्थित रथनेमि का संयम से विचलित होना ४१-४६ राजीमती का रथनेमि को उपदेश ४७-४४ रथनेमि का संयम में स्थिर होना राजमती और रथनेमि को केवल ज्ञान और निर्वाण प्राप्ति उपसंहार-इस प्रकार भोगों से निवृत्त पण्डित पुरुषोत्तम होता है तेवीसवाँ केशी-गौतम अध्ययन सावत्थी के तिन्दुक उद्यान में भ० पार्श्वनाथ के शिष्य केशी श्रमण का आगमन ५.८ भ० वर्धमान महावीर के शिष्य गौतम का सावत्थी के कोष्ठक चैत्य में ठहरना ६-१३ दोनों के शिष्यों में अचेल-सचेल और चार याम, पाँच याम के सम्बन्ध में जिज्ञासा १-४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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