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________________ उत्तराध्ययन विषय-सूची प्रथम विनय अध्ययन विनय उत्थानिका विनीत के लक्षण अवनीत के लक्षण ४ क- दुःशील को कृमीकर्णी कुतिया की उपमा ख- बहुभाषी का सर्वत्र अनादर ५ दुःशील को ग्राम शूकर की उपमा ६ क- आत्महित के लिए विनय आवश्यक है ख- विनय से शील की प्राप्ति ७ बुद्ध पुत्र का सर्वत्र आदर क- सार्थक अध्ययन के लिये प्रेरणा ___ ख- निरर्थक अध्ययन का निषेध ६ क- कठोर अनुशासन के समय क्षमा रखना ख- बाल दुश्चरित्र की संगनिका निषेध क- क्रोध और बहुभाषन का निषेध ख- यथा समय स्वाध्याय तथा ध्यान करने का विधान ११ दोष छिपाने का निषेध, गुरुजनों के समक्ष प्रगट करने का विधान १२ क- अविनयी को अड़ियल टट्ट की उपमा ख- विनयी को अश्व की उपमा । ग- गुरुजनों के अभिप्रायानुसार आचरण करने का आवेश १३ क- अविनयी मृदु स्वभाव वाले गुरुजनों को कठोर बना देता है 'ख- विनयी कठोर स्वभाव वाले गुरुजनों को मृदु बना लेता है १४ क- अकारण बोलने का और मिथ्या बोलने का निषेध Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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