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• दशवैकालिक सूची
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चूलिका २ गाथा २
१५ संयम, अध्यात्म - रतता और सूत्रार्थ - विज्ञान
१६ अमूर्च्छा, अज्ञात भिक्षा, क्रय-विक्रय वर्जन और निस्संगता
१७ वाणी का संयम और आत्मोकर्ष का त्याग
१८ अलोलुपता, उंछचारिता और ऋद्धि आदि का त्याग १६ मद वर्जन
२० आर्यपद की घोषणा और कुशीललिंग का वर्जन २१ भिक्षु की गति का निरूपण
प्रथमा रतिवाक्या चूलिका
( संयम में अस्थिर होने पर पुनः स्थिरीकरण का उपदेश ) १ संयम में पुन: स्थिरीकरण के १८ स्थानों के अवलोकन का उपदेश और उनका निरूपण
२-८ भोग के लिये संयम को छोड़नेवाले की भविष्य की अनभिज्ञता और पश्चात्तापपूर्ण मनोवृत्ति का उपमापूर्वक निरूपण
६ श्रमण - पर्याय की स्वर्गीयता और नारकीयता का सकारण निरूपण
१० व्यक्ति भेद से श्रमण- पर्याय में सुख-दुःख का निरूपण और श्रमणपर्याय में रमण करने का उपदेश
११-१२ संयम भ्रष्ट श्रमण के होनेवाले ऐहिक और पारलौकिक दोषों का निरूपण
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१३ संयम भ्रष्ट की भोगासक्ति और उसके फल का निरूपण १४-१५ संयम में मन को स्थिर करने का चिन्तन - सूत्र
१६ इन्द्रिय द्वारा अपराजेय मानसिक संकल्प का निरूपण १७-१८ विषय का उपसंहार
द्वितीया विविक्त चर्या चूलिका ( विविक्त चर्या का उपदेश )
१ चूलिका के प्रवचन की प्रतिज्ञा और उसका उद्देश्य
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