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________________ निरया०-सूची ७४८ द- काल कुमार का चौथी नरक में गमन ध- गमन का हेतु ? न- चेलणा का दोहद प- अभयकुमार द्वारा दोहद की पूर्ति फ - चेलणा का गर्भपात के लिए प्रयत्न ब- पुत्र जन्म, उकरड़ी पर शिशु को डलवाना, शिशु की उंगली पर मुर्गे की चोंच का प्रहार, श्रेणिक द्वारा शिशु को उकरडी से मंगवाना. शिशु की अंगुली का पकना. अंगुली की चिकित्सा भ - कूणिक नाम देना, पालन-पोषण, शिक्षा, विवाह म- कूणिक का श्रेणिक को बन्दी बनाने का तथा अपने राज्या भिषेक का संकल्प वगं १ अ० १ - काल आदि दस भ्राताओं को राज्य विभाग देने का प्रलोभन र- श्रेणिक को बन्दी बनाना - कूणिक का राज्याभिषेक ल - चेलना का कुणिक को पूर्व वृत्तान्त सुनाना व- श्रेणिक को बन्धन मुक्त करने के लिये जाना श- श्रेणिक का तालपुट विष से आत्मघात ष - अंतपुर सहित बहुलकुमार और सेचनक गंध हस्ती की जल क्रीड़ा से पद्मावती को ईर्ष्या स- पद्मावती की प्रेरणा से हार हाथी लौटाने की बहल से कूणिक की मांग ह - बेहल का विदेह जनपद को वैशाली राजधानी में राजा चेटक से संरक्षण चाहना चेटक और कूणिक का युद्ध काल आदि का कूणिक को सहयोग Jain Education International काल कुमार की मृत्यु, चतुर्थ नरक में उत्पत्ति नरक से उद्वर्तन के पश्चात् महाविदेह में जन्म, वैराग्यप्रव्रज्या, साधना और शिवपद For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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