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प्राभृत १६ सूत्र १०३
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ख- चन्द्र - विमान के ग. सूर्यं विमान के घ- ग्रह विमान के
देव - देवियों की जघन्य - उत्कृष्ट स्थिति देव - देवियों की जघन्य - उत्कृष्ट स्थिति देव - देवियों की जघन्य - उत्कृष्ट स्थिति
च - तारा विमान के देव - देवियों की जघन्य - उत्कृष्ट स्थिति
पाँच ज्योतिषी देवों का अल्प- बहुत्व उन्नीसवाँ प्राभृत
६६ क- चन्द्र-सूर्य सारे लोक को प्रकाशित करते हैं या लोक के विभाग
को इस सम्बन्ध में अन्य बारह प्रतिप्रत्तियाँ
निरूपण
सूर्यप्रज्ञप्ति सूची
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ख- स्वमत का सम्यक्
ग- लवण समुद्र का संस्थान, आयाम विष्कम्भ और परिधि घ- लवण समुद्र में चन्द्र-सूर्य ग्रह, नक्षत्र और तारे
ङ - धातकी खण्ड का संस्थान, आयाम, विष्कम्भ, और परिधि
च - धातकी खण्ड में चन्द्र सूर्य ग्रह नक्षत्र और तारे
छ- कालोद का संस्थान, आयाम, विष्कम्भ और परिधि
ज- कालोद में चन्द्र-सूर्य, ग्रह, नक्षत्र और तारे
भ- पुष्कर द्वीप का संस्थान आयाम - विष्कम्भ और परिधि ञ - पुष्कर द्वीप में चन्द्र, सूर्य, ग्रह नक्षत्र और तारे ट- पुष्करार्ध का संस्थान, आयाम, विष्कम्भ और परिधि
ठ- पुष्करार्ध में, चन्द्र, सूर्य, ग्रह, नक्षत्र और तारे
ड- मनुष्य क्षेत्र के चन्द्र आदि की उत्पत्ति और गति
ढ - इन्द्र के अभाव में व्यवस्था, इन्द्र का जघन्य उत्कृष्ट विरह काल
ण - मनुष्य क्षेत्र के बाहर चन्द्र आदि की उत्पत्ति और गति त - ढके समान
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१००.१०३ पुष्करोद का संस्थान, आयाम - विष्कम्भ और परिधि
ख- पुष्करोद में चन्द्रादि
ग- स्वयम्भूरमण पर्यन्त द्वीप समुद्रों का आयाम - विष्कम्भ और
परिधि
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