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________________ प्राभृत १० सूत्र ५३ ४५ क- नक्षत्र रहित चन्द्र मण्डल ४६ ४७ ५० ख- सूर्य-चन्द्र के समान चन्द्र मण्डल ग- सूर्य रहित चन्द्र मण्डल ४८ क पन्द्रह दिनों के नाम ख- पन्द्रह रात्रियों के नाम ५१ ७३७ बारहवाँ प्राभूत-प्राभृत नक्षत्रों के देवता तेरहवाँ प्राभृत-प्राभृत तीस मुहूर्ती के नाम चौदहवाँ प्राभृत-प्राभृत पन्द्रहवाँ प्राभृत-प्राभृत ४६ क पन्द्रह दिवस तिथियों के नाम ख- पन्द्रह रात्रि तिथियों के नाम सोलहवाँ प्राभृत-प्राभृत नक्षत्रों के गोत्र सत्तरहवाँ प्राभृत-प्राभृत नक्षत्रों में भोजन का विधान अठारहवाँ प्राभृत-प्राभृत ५२ क- एक युग में चन्द्र के साथ नक्षत्रों का योग ख- एक युग में सूर्य के साथ नक्षत्रों का योग उन्नीसवाँ प्राभृत-प्राभृत ५३ क - एक संवत्सर के मास ख- लौकिक मासों के नाम ग- लोकोत्तर मासों के नाम Jain Education International For Private & Personal Use Only सूर्य प्रज्ञप्ति सूची www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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