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________________ जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति-सूची ७२० वक्ष ७ सूत्र १४६ ज- इस प्रकार प्रत्येक चन्द्रमण्डल में एक मुहूर्त में चन्द्र की हीनगति नक्षत्र वर्णन सप्त अधिकार १४६ क- सर्व नक्षत्र मण्डल ख- जम्बू द्वीप में नक्षत्रमण्डल ग- लवण सन्द्र ऐ नक्षत्र-मण्डल घ- प्रथम और अन्तिम नक्षत्र-मण्डल का अन्तर ङ- प्रत्येक नक्षत्र-मण्डल का अन्तर च- नक्षत्र मण्डल का आयाम-विष्कम्भ और परिधि छ- मेरु पर्वत से प्रथम नक्षत्र मण्डल का अन्त र ज- मेरु पर्वत से अन्तिम नक्षत्र मण्डल का अन्तर झ- प्रथम नक्षत्र मण्डल का आयाम-विष्कम्भ और परिधि ज- अन्तिम नक्षत्र मण्डल का आयाम विष्कम्भ और परिधि ट- प्रथम मण्डल में एक मुहूर्त में नक्षत्र की गति ठ- अन्तिम मण्डल में एक मुहूर्त में नक्षत्र गति ड- चन्द्रमण्डलों के साथ नक्षत्र मण्डलों का योग ढ- एक मुहूर्त में मण्डल का अवगाहन ण- एक मुहूर्त में सूर्य द्वारा मण्डल का अवगाहन त- एक मुहर्त में नक्षत्रों द्वारा मण्डल का अवगाहन १५० क- जम्बूद्वीप में दो सूर्यों की उदय दिशायें ख. " दो चन्द्रों की " ग- शेष वर्णन भगवती श० ५ उद्देशक २ के समान घ- जम्बूद्वीप के चन्द्र-सूर्यों का कथन समाप्त संवत्सर के भेद-प्रभेद १५१ क- संवत्सर के भेद (१) नक्षत्र संवत्सर के बाहर भेद (२) युग संवत्सर के पांच भेद Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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