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________________ जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति-सूची ७०८ वक्ष० ४ सूत्र ६६ 4- अभियोगिक श्रेणियां फ- सोलह वक्षस्कार पर्वत ब- बारह नदियाँ १६ क- सीतामुख वन (उत्तर) का स्थान ख- उत्तर के आठ विजय ग- उत्तर की अाठ राजधानियां घ- उत्तर के चार वक्षस्कार पर्वत ङ- उत्तर की तीन नदियां क- सोमनस वक्षस्कार पर्वत का स्थान ख- सोमनस व० प० के आयत और विस्तार की दिशा ग- निषध वर्षधर पर्वत के समीप सोमनस पर्वत का विष्कम्भ घ- व्यन्तर देवों का क्रीड़ा स्थल ङ- सोमनस देव और उसकी स्थिति च- सोमनस नाम शाश्वत छ- सोमनस वक्षस्कार पर्वत पर सातकूट ज- दो कूटों पर देवियां, शेष कूटों पर देवता झ- प्रत्येक देव की राजधानियां ज- देवकुरु का स्थान शेष वर्णन उत्तरकुरु के समान १८ क- चित्रकूट और विचित्रकूट पर्वत का स्थान ख- राजधानियां मेरु से दक्षिण में ग- शेष वर्णन यमक पर्वतों के समान क- निषधद्रह का स्थान ख- देवकुरु द्रह का स्थान ग- सूर्यद्रह का स्थान घ- सुलसद्रह का स्थान ङ- विद्य प्रभ द्रह का स्थान Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001931
Book TitleJainagama Nirdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1966
Total Pages998
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_index
File Size9 MB
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